Sunday 29 December 2013

मंजिल


मंजिल
एक संकरी
गले में
कठिन रास्ते पर
आगे बढ़ता हुआ
अँधेरे में
उजाले को टटोलता
मंजिल पाने की चाह में
बढ़ता जा रहा हूँ मैं
दृढ़ इच्छा शक्ति
मुझे
आगे की ओर
बढ़ने को
प्रेरित करती है
मुझे सफल होना ही है
ये विचार
मुझे बल देते हैं
ऊर्जा देते हैं
मैं वीर्यवान , शक्तिमान
के साथ – साथ
ज्ञानवान बन
देदीप्यमान बन
अग्रसर हो
पथ पर
बढ़ता जा रहा हूँ
समय पर
कुछ न छोड़
समय को
स्वर्णिम अवसर में
परिवर्तित करने को उत्सुक
बिना विचलित हुए
इतिहास
रचने की ओर
अग्रसर हो रहा हूँ मैं
ध्रुव नहीं मैं
किंचित उसकी ही तरह
उस आसमां पर
चमकने की चाह में
सफलता की सीढियां
चढ़ने की
कोशिश में
आगे बढ़ रहा हूँ मैं
तुम भी
अपने प्रयास से
गढ़ सको तो
गढो इतिहास
बना दो
इस धरा को
प्रकाशवान
मुक्त कर
नभाक से
फैला चांदनी
इस धरा को
जीवनदायिनी
बना दो
कुछ पुष्प खिला दो
कुछ रंग भर दो
चहुँ ओर
प्रेममय शांति कर दो
प्रेममय शांति कर दो
प्रेममय शांति कर दो

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