विनाश नहीं करती, जिन्दगी की सकारात्मकता
भूल जाओ जिन्दगी के नकारात्मक पलों की भयावहता
चित्त को जीवन के सचेत तुम रखो
न होने दो विचारों को नकारात्मकता से अचेत
आत्मविश्वास की कमी पैदा करती जिन्दगी में भयावहता
अति आत्मविश्वास का होना जिन्दगी को पथभ्रष्ट करता
प्रयास करो व्याप्त हो जिन्दगी में आस्तिकता
गिरा देती है आदर्शों के स्तंभ , नास्तिकता
सृजनात्मक मन से आलोकित करो जिन्दगी के पल
करो इश्वर की तलाश , यही है जीवन दर्शन
जिन्दगी की और उम्मीद भरी निगाहों से देखो
जिन्दगी को बचपन की तरह संवारकर देखो
आकाश से ऊँची हौसलों की उड़ान हो तेरी
खुद पर स्वयं पर यकीन करके देखो
तिनके – तिनके से बनता है जिन्दगी का आसमान
खुद लिखो , खुद की जिन्दगी के नाम पैगाम
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
भूल जाओ जिन्दगी के नकारात्मक पलों की भयावहता
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
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