Wednesday, 28 August 2024

खिलेंगे फूल राहों में

 खिलेंगे फूल राहों में

ज़रा दो कदम तो चल
बिछेंगे फूल राहों में
ज़रा दो कदम तो चल

कौन कहता है सुबह होगी नहीं
हौसलों को तू अपने
आसमां की उड़ान पर लेकर चल

रुकना नहीं है तुझको बीच राह में
मंजिल को अपने जिगर में बसा के चल

खुशबू से महकेगा आँचल
किसी को अपना बना के चल

किस्से जहां में यूं ही एहसास नहीं देते
किसी की राह के कांटे चुरा के चल

बेफिक्री में तू यूं ना जी
किसी के गम अपने जिगर में बसा के चल

तेरा नसीब बुलंदी पाए
दो फूल इंसानियत के खिला के चल

मुझे लोग खुदा का नूर कहें
दो वक़्त की नमाज़ अता कर के चल

खिलेंगे फूल राहों में
ज़रा दो कदम तो चल

बिछेंगे फूल राहों में
ज़रा दो कदम तो चल

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

No comments:

Post a Comment