Friday, 30 August 2024

चिंपू गधे की समझदारी – कहानी

चिंपू गधे की समझदारी – कहानी

                                 चंपकवन के सभी जानवर एक – दूसरे के साथ बहुत ही प्रेम व्यवहार के साथ रहते थे | चंपकवन में ही चिंपू गधा अपने माता – पिता के साथ आलीशान बंगले में रहा करता था | चंपू गधे के माता – पिता को अपने धनी होने का बहुत ज्यादा ही घमंड था |

                                     चंपकवन के सभी जानवर चिंपू गधे की सादगी के कायल थे | चिंपू गधा अब बड़ा हो गया था | उसके माता – पिता को अब उसकी शादी की चिंता होने लगी थी | उन्हें इस बात की भी चिंता थी कि उनकी बराबरी का कोई भी गधा परिवार न तो चंपकवन में था न ही आसपास के किसी और वन में | चिंपू गधे की माँ की वजह से दो – तीन रिश्ते यूं ही आये और चले गए | चूँकि चिंपू गधे की माँ को बारातियों का भव्य स्वागत और दहेज़ में बहुत सारा सामान चाहिए था | चिंपू गधे को माँ की इन बातों से लगने लगा कि इस जन्म में तो उसकी शादी होने वाली नहीं |
                                    एक दिन अचानक पास के जंगल कुंजनवन से चिंपू के लिए एक रिश्ता आया | चिंपू गधे के माता – पिता चूँकि पास के ही एक रिश्तेदार के पास गए थे | सो चिंपू ने ही उनका स्वागत किया | और उनसे आवश्यक बातें कर उनको समझा देता है कि वे किसी भी हालत में रिश्ते के लिए ना नहीं करें |
चिंपू के माता – पिता से बात करने के बाद कुंजनवन से आये लड़की के माता – पिता अपनी बेटी चिंकी गधी का हाथ चिंपू गधे के हाथ में देने को तैयार हो जाते हैं | शादी धूमधाम से हो जाती है | बारातियों का स्वागत भी और दहेज़ में ढेर सारी चीजें देखकर चिंपू गधे के माता – पिता भी बहुत खुश होते हैं | चंपकवन के सभी जानवर इस शादी का हिस्सा बनकर ख़ुशी से फूले नहीं समाते | क्यूँकि ऐसी खातिरदारी चंपकवन के किसी और जानवर की शादी में नहीं हुई थी |
                                            चिंपू की पत्नी चिंकी इस बात से बेहद खुश थी कि उसका पति चिंपू गधा बहुत ही सीधा सादा है | चिंकी अपने पति चिंपू गधे से पूछती है कि आपने इस शादी के लिए मना क्यों नहीं किया | चूंकि मेरा परिवार तो बहुत गरीब है | चिंपू ने बड़ी ही सादगी के साथ बताया कि मेरे माता – पिता की हैसियत के बराबर इस जंगल और आसपास के किसी भी जंगल में कोई भी नहीं है | उनकी दहेज़ लेने की आदत के चलते इस जन्म में मेरी शादी होने से थी | सो मैंने तुम्हारे माता – पिता से बात कर शादी का पूरा खर्च अपने हाथों में ले लिया | वैसे भी मुझे दहेज़ से सख्त नफरत है | अब मेरे माता – पिता भी खुश और तुम्हारा परिवार भी | और मैं और तुम भी तो इस शादी से खुश हैं |
                                  चिंपू गधे की पत्नी चिंकी अपने पति चिंपू के गले लग जाती है | दोनों ख़ुशी – ख़ुशी रहने लगते हैं |

अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'

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