मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
मुक्तक
तू चाहे तो गीतों को , ग़ज़ल कर देतू चाहे तो पत्थर नयनों को भी , सजल कर दे |तू चाहे तो चीर दे सीना , पहाड़ों कातू चाहे तो नदी को , समंदर कर दे ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “
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