चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता – व्यंग्य
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता
जनता को , ठगता जाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं चमचा
खुद को ही , मैं भरमाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं अंध भक्त
क्यों खुद से , धोखा खाऊँ
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं बनकर लोभी
मोक्ष द्वार , परे हो जाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं पुष्प
नेता के चरणों में , फेका जाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं नेता
जनता को , टोपी पहनाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं नेता
अहंकार में , लिप्त हो जाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं नेता
अधर्म मार्ग पर , बढ़ जाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं नेता
जनता का दुश्मन . बन जाऊँ
नहीं मुझे , बनकर मैं नेता
जनता को , ठगता जाऊँ
चाह नहीं मुझे, बनकर मैं चमचा
खुद को ही , मैं भरमाऊँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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