मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
मुक्तक
चंद गीत मुहब्बत के आओ गुनगुनाऐं चलोखुद को खुशियों से आओ मिलाएँ चलो lक्यूँ कर बिखर जाएँ आस के मोतीकिसी रोते हुए को आओ हँसायें चलो ll
अनिल कुमार गुप्ता *अंजुम *
No comments:
Post a Comment