Friday, 30 August 2024

न जाने कहाँ फिर से, उनसे मुलाकात हो जाये

 न जाने कहाँ फिर से, उनसे मुलाकात हो जाये

न जाने कहाँ , फिर से
उनसे मुलाकात हो जाये
न कुछ कहें हम उनसे , न वो हमसे
बस एक दूसरे का , दीदार हो जाये

चंद खुशनुमा यादें ताज़ा हो जाएँ
वो आम के पेड़ की छैयां
बाहों में बाहें , एक दूसरे की
आगोश में एक दूसरे की हम – तुम

वो खतों का सिलसिला
वो छुप – छुप कर मिलना
वो तेरा मुस्कराना
चुनरी से मुँह छुपाना

काश वो यादें फिर से , ताज़ा हो जाएँ
तेरी आगोश में चंद सासें , गुजर जाएं
वो फिर से तेरा रूठना , और मेरा मनाना
काश फिर से हम , एक – दूसरे के हो जाएँ

न जाने कहाँ उनसे
फिर से उनसे मुलाकात हो जाये
न कुछ कहें हम उनसे , न वो हमसे
बस एक दूसरे का दीदार हो जाये

अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'

No comments:

Post a Comment