Sunday 11 September 2016

प्रयासों की बारिश में , वो भीगते नहीं



 प्रयासों की बारिश में . वो भीगा नहीं करते

प्रयासों की बारिश में , वो भीगा नहीं करते
जिन्हें हार जाने का डर होता है
सामना वे ही करते हैं , मुसीबतों का
जिनमे आँधियों से टकराने का दम होता है

चंद प्रयासों को ही बना लेते हैं
अपनी मंजिल पाने का सबब
आत्मविश्वास और प्रयासों के प्रति पूर्ण आस्था
उनकी सफलता में चार चाँद लगा देते हैं

वे दो कदम भी आगे बढ़ाया नहीं करते
जिन्हें गिर जाने का डर होता है
पहुँचते हैं वे ही सवार अपनी मंजिल पर
जिनके प्रयासों में दम होता है

भाग्य किसी के , बगैर प्रयासों के
यूं ही रोशन हो जाया नहीं करते
अपने अर्थपूर्ण प्रयासों को बना लेते हैं
अपने भाग्य के रोशन हो जाने का सबब



उनके कर्म उनकी धरोहर हो गए
वो मरकर भी अमर हो गए
उनकी सहृदयता ने किया सभी को उनका कायल
उनके आदर्श उनकी पूँजी हो गए

अलौकिक उनकी छवि , आध्यात्मिक उनके विचार
पारखी उनकी नज़रें , पुण्य उनके विचार
कृतज्ञता भीतर तक समाई, करते वो सब उनका उद्धार
रत्नाकर सा विशाल ह्रदय , सदाचार उनके जीवन का आधार

आस्तिकता जिनके जीवन की धरोहर, सौम्य जिनकी छवि
सरिता सा पावन मन, पर उपकार परमो धर्म
मंदाकिनी सी निश्छलता , अमृत सी पावन वाणी
मोक्ष राह पर लेकर सबको, करते सपने साकार

यूं ही आसमान पर आशियाँ बनाया नहीं करते
यूं ही सबके दिलों में जगह बनाया नहीं करते
होते हैं आत्मविश्वास और समर्पण से परिपूर्ण उनके प्रयास
यूं ही अपने ख़्वाबों को वे सजाया नहीं करते

द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
के वी फाजिल्का
वर्तमान के वी सुबाथू  











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