Sunday, 11 September 2016

मैंने उसकी यादों को


मैंने उसकी यादों को

मैंने उसकी यादों को
अपनी जिन्दगी का
हिस्सा कर लिया
उसकी वो
चंचल मुस्कान
मेरे जीने का
सबब हो गयी
उसका रूठना
मुझ पर अपना
अधिकार जताना
मेरी यादों का
सफ़र हो गयीं
उसके तन की
भीनी भीनी
खुशबू
बस एहसास ही
काफी है
स्वयं को
उसकी यादों के
पालने में झुलाने के लिए
यही तो मुहब्बत की
इन्तिहाँ है

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