Sunday 11 September 2016

वह ढूंढती रही




वह ढूंढती रही

वह ढूंढती रही
एक आईना
सच  से ओतप्रोत
उसे
स्वयं को निहारना था
पूछना था
उस आईने से
स्वयं का अस्तित्व
आंतरिक सुन्दरता
की महक
जो उसे
प्रेरित करता
और ले चलता
अर्थपूर्ण
जीवन की ओर

द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
के वी फाजिल्का
वर्तमान के वी सुबाथू 





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