वह ढूंढती रही
वह ढूंढती रही
वह ढूंढती रही
एक आईना
सच से ओतप्रोत
उसे
स्वयं को निहारना था
पूछना था
उस आईने से
स्वयं का अस्तित्व
आंतरिक सुन्दरता
की महक
जो उसे
प्रेरित करता
और ले चलता
अर्थपूर्ण
जीवन की ओर
द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
के वी फाजिल्का
वर्तमान के वी सुबाथू
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