Tuesday, 13 September 2016

मुझे क़दमों की जरूरत नहीं , मेरे पास पंख जो हैं


मुझे क़दमों की जरूरत नहीं

मुझे क़दमों की जरूरत नहीं , मेरे पास पंख जो हैं
मुझे दोस्तों की जरूरत नहीं , मेरे पास पुस्तकें जो हैं

मुझे किसी का भय नहीं , मेरे साथ भगवान् जो है
मुझे खाली रहना पसंद नहीं , मुझे व्यस्त रहना पसंद जो है

मुझे कविताओं के लिए विषयों का अभाव नहीं, मेरे पास अथाह कल्पना शक्ति जो है
जीवन मेरा अभावों का साथी क्यों हो, मेरे पास विचारों की पूँजी जो है

मैं क्यों भटकूँ यहाँ से वहां, मेरी निगाहें मंजिल पर जो हैं
मुझे अकेलापन भाता है बहुत, मेरे पास चिंतन के विषय जो हैं

मुझे भंवरों के गुंजन से लगाव नहीं, मेरे चिंतन मन में विचारों का अथाह गुंजन जो है
मुझे असामाजिक कृत्य व्याकुल करते हैं बहुत, मेरा मन अथाह मानवीय संवेदनाओं का सागर जो है


मानवीय संवेदनाओं को लेकर  व्याकुल हो जाता हूँ बहुतदिल के किसी कोने में संवेदशील होने का दर्द पाले हुए हूँ मैं
मुझे बाह्य आडम्बरों से लगाव नहीं, अपनी संस्कृति एवं संस्कारों से खुद को पोषित किये हुए हूँ मैं

मुझ पर आधुनिकता का प्रभाव पड़ता नहीं , स्वयं को आदर्शों की डोरी से बांधे हुए हूँ मैं
मेरा मन चंचलता धारण नहीं करता, मुझे शांतिप्रिय वातावरण से लगाव जो है

मुझे विषय व्याकुल नहीं करते, स्वयं को अनुशासन की डोरी से बांधे हुए हूँ मैं
मुझे बड़ों के आशीर्वाद की पूँजी से सरोकार है बहुत, जीवन को संस्कारों की पूँजी किये हूँ मैं

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