Sunday, 18 September 2016

कान्हा तेरे दरबार में

कान्हा तेरे दरबार में

कान्हा तेरे दरबार में, आया है ये सवाली

कर दो मुरादें पूरी , झोली रहे न खाली

कान्हा ओ मेरे कान्हा, तुम पर में बलिहारी

विनती सुन त्रो प्रभु मेरी, करो जगत उजियारी

ध्याऊँ मैं तुमको हर पत्र. पूजूं मैं तुमको हर पल

ओ वंशी वाले कान्हा, ओ बांके बिहारी

मंगल हों कर्म मेरे. महिमा हो निराली

तेरे हर करम पर कान्हा , जाऊं में बलिहारी

तेरी इबादत को कर लूं कान्हा , अमानत मैं अपनी

तेरे चरणों में कान्हा. जाऊं मैं बलिहारी

अपना चाकर बना लो मुझको, ऐ मेरे मालिक

कुर्बान तुझ पर कर दूं , खुद को हे वंशीधारी

रोशन कर्म हों मेरे, खिदमत से तेरी

साँसों की डोर, अब हाथ तेरे गिरधारी

ख्वाहिश को मेरी जन्नत नसीब करना

चरणों में अपने मुझको अपना लो मुरारी

गुमराह हो न जाऊं ,बचाकर रखना मुझको

तुझ पर न्योछावर जिन्दगी मेरी सारी

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