Saturday, 24 September 2016

मेरे जीवन को दिशा दो कान्हा

मेरे जीवन को दिशा दो कान्हा

मेरे जीवन को दिशा दो कान्हा
अपने चरणों में मुझको जगह दो कान्हा

मेरी हर एक कोशिश में रहो तुम शामिल
मुझे मेरी मंजिल का पता दो कान्हा

मेरे सपनों को सजा दो कान्हा
मुझको अपना दास बना लो कान्हा

मुझको तुझसे हो प्रीति कान्हा
'तुझ पर खुद को लुटा दूं कान्हा

मुझको वृन्दावन बुला लो कान्हा
मुझको भी अपनी लीला दिखा दो कान्हा

मुझको हरिद्वार बुला लो कान्हा
अपना सेवक मुझको बना लो कान्हा

हर पत्र मैं तेरा ध्यान करूँ
तुझे मन मंदिर में बसाऊँ कान्हा

मेरे घर को अपना आशियाँ बनाओ कान्हा
मुझे भी मोक्ष राह पर लाओ कान्हा








Wednesday, 21 September 2016

अपने प्रयासों को उम्मीद का दामन अता कर देखो

जद प्रयासों को उम्मीद का दामन अता कर देखो

अपने प्रयासों को उम्मीद का दामन अता कर देखो
तेरे प्रयासों को एक नया मुकाम हासिल होगा

अपने सुसंकल्प को अपने प्रयासों का हमसफ़र बनाकर देखो
तेरे प्रयासों को नसीब होगी एक खूबसूरत मंजिल

अपनी उम्मीद का दीया अपने दिल में जलाकर रखना
तेरे प्रयासों को नसीब होगा जन्नत सा हमसफ़र

अपने प्रयासों से ज्यादा हो सके तो खुद पर एतबार करो
तेरी जिन्दगी फूलों की खुशबुओं सी होगी रोशन

अपने प्रयासों को अपने आत्मविश्वास की खुशबू से महकाकर देखो
'एक नई सुबह के साथ होगा तेरी जिन्दगी का आगाज़

तुम दो कदम चलो दस कदम तेरे साथ होगा तेरा खुदा
तेरे प्रयासों को मिलेगी मंजिल, रोशन होगा परचम तेरा






Sunday, 18 September 2016

जय जय जय हे कृष्ण मुरारी

जय जय हे कृष्ण मुरारी

जय जय हैं कृष्ण मुरारी
कृष्ण मुरारी है बनवारी

चरण कमल तेरे बलि बलि जाऊं
विनती सुन लो है बनवारी

हे अविनाशी है पुरुषोत्तम
है मोक्ष पथ अधिकारी

हे मुरलीधर हे वंशीधर
तुम पर हम जाएँ बलिहारी

है जगदीश्वर है परमेश्वर
तुम अति पावन , महिमा न्यारी

तुम पर मैरी आस न टूटे
तुम पर मेरा विश्वास न रुठे

मंगल कर्म सभी हैं मेरे
हे शुभदायक मंगलकारी

सुबह सवेरे शाम घनेरे
है जगत के पालनहारी

ओग विलासी मुझे न करना
अपने चरणों मैं प्रभु रखना

हे राधे हे मनमोहन
चरण कमल तेरे बलिहारी





बन्धनों में बाँधना न मुझे

बंधनों में बाँधना न मुझे

बंधनों में बाँधना न मुझे, माया -- मोह में फंसाना न मुझे

मैं तेरे दर का भिखारी होकर रहूँ, विलासिता में उलझाना न मुझे

कष्टों से रखना बचाकर मुझको, हिंसक बनाना न मुझे

तेरे नाम का चर्चा करूँ मैं गली - गली, कुमार्ग पर ले न जाना
मुझे

अभिमानी नहीं होना मुझको, सदोपकार की राह ले जाना मुझे

अभिलाषाओं में न उलझाना मुझे, सत्य की राह पर ले जाना
मुझे

बिछोह का कष्ट न देना मुझको , अपने चरणों में बिठाना मुझे

आरजुू है मैं तेरा दीदार करूँ, अपने चरणों का दास बनाना मुझे

किसी का बुरा न सोचूं मैं, परोपकार की राह दिखाना मुझे

धनी से निर्धन हो जाऊं कोई बात नहीं, अपनी इबादत का धनी
बनाना मुझे

मुझे नसीब हो तेरे करम का साया, अपना शागिर्द बनाना
मुझे

तेरे करम , तेरे रहम से वाकिफ हैं हम सब, अपना चाकर
बनाना मुझे

अपने दिल का टुकड़ा करना मुझे, इंसानियत की राह
दिखाना मुझे

मेरा हर दिन दीवाली हो, आठों पहर याद आना मुझे

करना अपनी धरोहर तुम मुझको, 'एक अदद बन्‍्दा बनाना
मुझे

सरिता सा पावन हो मेरा मन, अपने दर का चराग बनाना
मुझे

तेरे दरश का हूँ मैं प्यासा

तेरे दरश का हूँ मैं प्यासा


तेरे दरश का हूँ मैं प्यासा , अब तो दरश दिखाओ कान्हा

आठों पहर मैं ध्याऊँ तुझको, तेरे चरण पखारूँ कान्हा

कर तुझको सब कुछ समर्पित , चरण कमल्र बल्नि जाऊं कान्हा

मनमोहक प्रभ्रु छवि तुम्हारी . जीवन प्यास बुझाऊँ कान्हा

है वंशीधर , हे मुरलीधर , महिमा तेरी न्यारी कान्हा

चरण कमल का ल्रिया सहारा . अब तो दरश दिखाओ कान्हा

मुझको प्रीति हुई है तुमसे . भक्ति मार्ग पर ल्ञाओ कान्हा

अभिवादन स्वीकार करो प्रभु, दया दृष्टि दिखलाओ कान्हा

हे परमेश्वर , हे अन्तर्यानी, मुझको राह दिखाओ कान्हा

भक्ति मार्ग का त्िया सहारा . अब तो शागिर्द बनाओ कान्हा

ये जीवन अब तुझे समर्पित. अपना दास बनाओ कान्हा

जीवन तेरे चरणों में बीते, मोक्ष मार्ग दिखलाओ कान्हा

तुम हो सुन्दर और मनोहर,अब तो दरश दिखाओ कान्हा

मेरी विनती स्वीकार करो प्रभु. जीवन धन्य बनाओ कान्हा

ये दुनिया है तेरी माया. सच की राह दिखाओं कान्हा

तुम पर मैं बलि--बलि जाऊं. मुझको निर्दोष बनाओ कान्हा

तेरे चरणों में मुझको भी

तेरे चरणों में मुझको भी


तेरे चरणों में मुझको भी थोड़ी सी जगह जो मिल जाए ,तो कोई बात बने

मुझ पर भी तेरा थोड़ा सा करम जो हो जाए ,तो कोई बात बने

तेरी रहमत का साया हम पर भी बरकरार रहे ,तो कोई बात बने

तेरे दर को मेरे त्रिए जन्नते - इबादत कर दे ,तो कोई बात बने

मैं तेरी इबादत में खुद को समर्पित कर दूं ,तो कोई बात बने

तेरे करम से गर मेरा ओ नाम रोशन जो हो जाए ,तो कोई बात बने

तेरे बन्दों में मुझे हर पल तेरा दीदार जो हो जाए ,तो कोई बात बने

मैं खुद को तेरे क़दमों में निसार दूं ,तो कोई बात बने

इस फरेबी दुनिया से तू मुझे बचा कर रखे ,तो कोई बात बने

मैं तेरे बगैर एक पल भी जी न सकूं ,तो कोई बात बने

तेरे दर पर मेरी जिन्दगी का हर एक पल जो गुजर हो ,तो कोई बात बने

तू मुझे ताउमर भर के लिए अपना दास जो बना ले ,तो कोई बात बने

मेरे प्रयासों को तेरे करम का आसमां नसीब हो ,तो कोई बात बने

मेरे मन में तेरे नाम की पावन जोत जो रोशन हो जाए ,तो कोई बात बने

तेरे बन्दों की खिदमत में ये जिन्दगी जो गुजर जाए ,तो कोई बात बने

मेरी सभी कोशिशें तेरे करम से पाकीज़ा जो हों जाएँ ,तो कोई बात बने

कान्हा तेरे दरबार में

कान्हा तेरे दरबार में

कान्हा तेरे दरबार में, आया है ये सवाली

कर दो मुरादें पूरी , झोली रहे न खाली

कान्हा ओ मेरे कान्हा, तुम पर में बलिहारी

विनती सुन त्रो प्रभु मेरी, करो जगत उजियारी

ध्याऊँ मैं तुमको हर पत्र. पूजूं मैं तुमको हर पल

ओ वंशी वाले कान्हा, ओ बांके बिहारी

मंगल हों कर्म मेरे. महिमा हो निराली

तेरे हर करम पर कान्हा , जाऊं में बलिहारी

तेरी इबादत को कर लूं कान्हा , अमानत मैं अपनी

तेरे चरणों में कान्हा. जाऊं मैं बलिहारी

अपना चाकर बना लो मुझको, ऐ मेरे मालिक

कुर्बान तुझ पर कर दूं , खुद को हे वंशीधारी

रोशन कर्म हों मेरे, खिदमत से तेरी

साँसों की डोर, अब हाथ तेरे गिरधारी

ख्वाहिश को मेरी जन्नत नसीब करना

चरणों में अपने मुझको अपना लो मुरारी

गुमराह हो न जाऊं ,बचाकर रखना मुझको

तुझ पर न्योछावर जिन्दगी मेरी सारी

उच्च से उच्चतर ई ओर बढ़ो

उच्च से उच्चतर की ओर

उच्च से उच्चतर की ओर बढ़ो
कुछ प्रयास करो . कुछ प्रयास करो

श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम की ओर बढ़ो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करों

जिन्दगी है चार दिनों का मेला
कुछ प्रयास करों , कुछ प्रयास करों

गुरु से गुरुतन की ओर बढ़ो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करों

जो दारुण हैं . उसके कल्याण हित
कुछ प्रयास करो . कुछ प्रयास करो

पवित्र से पवित्रतम की ओर बढ़ों
कुछ प्रयास करों . कुछ प्रयास करो

मथुर से मधुरतम की ओर बढ़ो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

महान से महानतम की ओर बढ़ो
कुछ प्रयास करों . कुछ प्रयास करो

सुन्दर से सुन्दरतम की ओर बढ़ो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

ड़ ही जिन्दगी को न निराश करो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

अपनी जिन्दगी को खुदा की अमानत बनाओं
कुछ प्रयास करो . कुछ प्रयास करो

चंद प्रयासों से सफलता नहीं मित्रती
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

अपनी कोशिशों को बेहतर से बेहतरीन करो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

खिलाओ फूल मुहब्बत के इस दुनिया को जन्नत कर दो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

अपने रिश्तों को घनिष्ट से घनिष्टतम करो
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

यूं ही क्‍यों रूठ जाए कोई . उसके चेहरे को मुस्कान से भर दो
कुछ प्रयास करो . कुछ प्रयास करो

अपने - पराये में क्यों उल्नझ कर जियें हम
कुछ प्रयास करो . कुछ प्रयास करो

एक दूसरे के गमों का हिस्सा क्‍यों न बनें हम
कुछ प्रयास करो , कुछ प्रयास करो

Saturday, 17 September 2016

गहरे अन्धकार में , आशा का सूरज बनकर देखो

गहरे अंधकार में आशा का सूरज बनकर
देखो

गहरे अन्धकार में आशा का सूरज .बनकर देखो
मन की आँखों से दुनिया की खूबसूरती ,निहारकर देखो

खुद को उस खुदा की नज़र में ,संवारकर देखो
इंसानियत की राह पर खुद को उस खुदा का ,चश्मों--चिराग
कर देखो

चांदनी रात में ढूंढ लेते हैं मं जिल सभी
अँधेरी राहों पर चलकर मंजिल का सफ़र ,तय कर देखो

कोशिशों को अपनी मंजिल का ,हमसफ़र कर देखो
लहरों के थपेड़ों में अपने आत्मविश्वास को अपनी ,धरोहर
कर देखो

किसी की वीरान जिन्दगी में कुछ पल  रोशन कर देखो
तसव्वुर में ही सही , किसी की जिन्दगी .रोशन कर देखो

निगेहबान है वो उस खुदा की राह पर ,चलकर देखो
जी रहे हैं जो असहायों की मानिंद , उन्हें दो पल की
ख़ुशी देकर देखो

किसी की खुशियों में शामिल्र हो ,खुशियाँ बांटकर देखो
खुदा के बन्दे हैं हम सब, उस खुदा पर ,एतबार कर
देखो

किसी की सिसकती साँसों को दो पल  की , ख़ुशी देकर
देखो
ये जिन्दगी है उस खुदा की नेमत , इसे खुदा के बन्दों
पर लुटाकर देखो

निगेहबान है वो उस खुदा की राह पर ,चलकर देखो
जी रहे हैं जो असहायों की मानिंद , उन्हें दो पल की
ख़ुशी देकर देखो

किसी की खुशियों में शामिल्र हो ,खुशियाँ बांटकर देखो
खुदा के बन्दे हैं हम सब, उस खुदा पर ,एतबार कर
देखो

किसी की सिसकती साँसों को दो पल  की , ख़ुशी देकर
देखो
ये जिन्दगी है उस खुदा की नेमत , इसे खुदा के बन्दों
पर लुटाकर देखो


डूब जाते हैं बीच मझधार - मुक्तक


डूब जाते हैं बीच मझधार - मुक्तक 

१.

डूब जाते हैं बीच मझघार, जिन्हें खुद पर एतबार नहीं
वो जिन्दगी भी क्या जिन्दगी , जिसे मादरे--वतन से प्यार नहीं

२.

चंद सिक्कों की खातिर , जो ईमान लुटा देते हैं
अपनी जिन्दगी को वो ;नासूर बना लेते हैं

3.

 मर मिटने का ज़ज्बा नहीं , जिनमे वतन की खातिर
उनका न कोई खुदा होता है, न कोई दोस्त यहाँ

4.

खुदा की राह जो चले उसे मंजिल हो नसीब
फिरे जो राह से खुदा की , तो जिन्दगी न मिले

5.

सुबह की ताजगी लाती है , जिन्दगी में रौनके - बहार
जो सुबह देर तक सोये, उसे जिन्दगी कहें क्या कहें

६.


किसी के बारे में बात करें ,तो कया बात करें
अपने ग़म से मिलाएं तो ,मिलाएं कैसे 

7.


फ़िक्र किसी और की मेरी जिन्दगी का ,हिस्सा हो जाए तो अच्छा हो
यूं ही लोगों के गम पीते जिन्दगी ;गुजर जाये तो अच्छा हो.

8.


शुक्रिया उस खुदा का , जिसने जहां बनाया
मकसदे - इंसानियत मेरी जिन्दगी का हिस्सा हो जाए तो अच्छा हो





गर सत्य ही सत्य है

गर सत्य ही सत्य है

गर सत्य ही सत्य है तो ,फिर झूठ से रिश्ता कैसा
गर सत्कर्म ही जीवन मर्म है , तो फिर दुष्कर्म से रिश्ता कैसा

'गर जन्नत जीवन का सुख, तो जहन्नुम से फिर नाता कैसा
गर खुदा ही एकमात्र सच तो ,माया मोह से रिश्ता कैसा

'गर सत्य जीवन मर्म तो ,असत्य से फिर रिश्ता कैसा
'गर नश्वर है यह तन तो ,विलासिता का बंधन कैसा

'गर आस्तिकता धर्म मर्म तो ,नास्तिकता से लगाव कैसा
'गर मानवता धर्म मूल तो ,आतंकवाद से रिश्ता कैसा

'गर मानव उत्कर्ष जीवन सत्य तो ,पराक्षाव से नाता कैसा
'गर न्याय मानव धर्म तो ,अन्याय से रिश्ता कैसा

गर  सादा जीवन परम सुख तो ,भौतिक जगत से रिश्ता कैसा
'गर स्वाभिमान जीवन मर्म तो ,अहंकार से रिश्ता कैसा

'गर भक्ति मोक्ष मार्ग तो ,माया मोह का बंधन कैसा
'गर सद्चिन्तन जीवन धर्म तो ,कुविचारों से नाता कैसा

गर मन की पावनता चरम सुख तो ,रिश्तों का फिर भय कैसा
'गर मन मंदिर हो जाए तो ,जीवन--मरण का फिर भय कैसा






एक छोटी सी जिन्दगी

एक छोटी सी जिन्दगी

इस छोटी सी जिन्दगी से , मुहब्बत कर नहीं रहे तो क्यूं
इस छोटी सी जिन्दगी को, नासूर कर रहे तो क्यूं

इस भौतिक जगत में , यूं ही विचर रहे तो क्यूं
खुद से आँखें मिला नहीं , पा रहे तो क्यूं

आध्यात्मिक जगत से रिश्ता , नहीं बना पा रहे तो क्यूं
रिश्तों की एक माला , पिरो पा नहीं रहे तो क्यूं

विलासिता के इस बवंडर से , बाहर आ पा रहे नहीं तो क्यूं
किसी के आंसुओं को अपना ,बना पा नहीं रहे तो क्यूं

एक अनजान मोड़ पर जिन्दगी को ,ला खड़ा किया तो क्यूं
अपने संस्कारों को अपनी अमानत ,बना  नहीं पा रहे तो क्यूं 

हम खुद को उस खुदा की ,निगाहों में गिरा रहे तो क्यूं
'किसी की ग़मगीन रातों में ,उजाला कर नहीं रहे तो क्यूं

नजरिया हमारा इतना विकृत ,हो गया तो क्यूं
चाहकर भी खुद को संवार ,नहीं पा रहे तो क्यूं

सत्कर्म को जीवन का हिस्सा ,बना पा नहीं रहे तो क्यूं
'जिए जा रहे, बस जिए जा रहे , बस जिए जा रहे तो क्यूं

कुछ ज्यादा की चाह में , सब कुछ लुटा रहे तो क्यूं
जनाब , जिन्दगी को जहन्नुम  ,किये जा रहे तो क्यूं

खुदा की दी हुई नायाब , जिन्दगी पर एतबार कर
खुद को बुलंद कर, खुदा की निगाहों में खुद को चश्मो -- चराग कर







Tuesday, 13 September 2016

करता हूँ सजदा पेश ऐ मेरे खुदा


 करता हूँ सजदा पेश ऐ मेरे खुदा

करता हूँ सजदा पेश ऐ मेरे खुदा
क़ुबूल करना इलत्ज़ा मेरी ऐ मेरे खुदा
सजा दे मेरे ख़्वाब ऐ मेरे खुदा
मुसीबतों से रखना बचाकर ऐ मेरे खुदा

तुझ पर करूँ कुर्बान खुद को ऐ मेरे खुदा
तेरी करूँ इबादत मैं ऐ मेरे खुदा
मुझ पर हो करम तेरा ऐ मेरे खुदा
अरमान मेरे पूरे करना ऐ मेरे खुदा

मुझको अपनी अमानत करना ऐ मेरे खुदा
आगोश में तेरी गुजरे मेरी जिन्दगी ऐ मेरे खुदा
मुझको अपना शागिर्द बना ले ऐ मेरे खुदा
तेरे करम, तेरी इनायत से वाकिफ हूँ ऐ मेरे खुदा


एतबार है तुझ पर , मुझको ऐ मेरे खुदा
रोशन हो मेरी दुनिया , एक तुझसे ऐ मेरे खुदा
तेरे दर पर आ गया हूँ मैं मेरे खुदा
आजमाइशों के दौर से बचाना मुझको ऐ मेरे खुदा

मुझको अपना बना ले ऐ मेरे खुदा
ग़ज़ल हो जाए जिन्दगी मेरी ऐ मेरे खुदा
इंसानियत की राह पर ले चल ऐ मेरे खुदा
मेरी जिन्दगी को अपनी अमानत कर ऐ मेरे खुदा

मुझे क़दमों की जरूरत नहीं , मेरे पास पंख जो हैं


मुझे क़दमों की जरूरत नहीं

मुझे क़दमों की जरूरत नहीं , मेरे पास पंख जो हैं
मुझे दोस्तों की जरूरत नहीं , मेरे पास पुस्तकें जो हैं

मुझे किसी का भय नहीं , मेरे साथ भगवान् जो है
मुझे खाली रहना पसंद नहीं , मुझे व्यस्त रहना पसंद जो है

मुझे कविताओं के लिए विषयों का अभाव नहीं, मेरे पास अथाह कल्पना शक्ति जो है
जीवन मेरा अभावों का साथी क्यों हो, मेरे पास विचारों की पूँजी जो है

मैं क्यों भटकूँ यहाँ से वहां, मेरी निगाहें मंजिल पर जो हैं
मुझे अकेलापन भाता है बहुत, मेरे पास चिंतन के विषय जो हैं

मुझे भंवरों के गुंजन से लगाव नहीं, मेरे चिंतन मन में विचारों का अथाह गुंजन जो है
मुझे असामाजिक कृत्य व्याकुल करते हैं बहुत, मेरा मन अथाह मानवीय संवेदनाओं का सागर जो है


मानवीय संवेदनाओं को लेकर  व्याकुल हो जाता हूँ बहुतदिल के किसी कोने में संवेदशील होने का दर्द पाले हुए हूँ मैं
मुझे बाह्य आडम्बरों से लगाव नहीं, अपनी संस्कृति एवं संस्कारों से खुद को पोषित किये हुए हूँ मैं

मुझ पर आधुनिकता का प्रभाव पड़ता नहीं , स्वयं को आदर्शों की डोरी से बांधे हुए हूँ मैं
मेरा मन चंचलता धारण नहीं करता, मुझे शांतिप्रिय वातावरण से लगाव जो है

मुझे विषय व्याकुल नहीं करते, स्वयं को अनुशासन की डोरी से बांधे हुए हूँ मैं
मुझे बड़ों के आशीर्वाद की पूँजी से सरोकार है बहुत, जीवन को संस्कारों की पूँजी किये हूँ मैं