Sunday 16 August 2015

संघर्षों से नाता तोड़ो

संघर्षों से नाता जोड़ो, बीच राह न धीरज छोड़ो
मंजिल पाना सबकी चाहत, मन की चंचलता
छोड़ो
सामर्थ्य तेरा साथ दे तुझको, समृद्धि की राह पर
दोड़ो
जीवन का तुम सार निकालो, चुनौतियों से तुम
मुह न मोड़ो




सागर सा हृदय विशाल बनो तुम , साहस पर
अभिमान करो तुम
सैनिक बन देश हित मरो, हिमालय सा अविचल्र
बनो तुम
मनभावन सत्कर्म करो तुम, संस्कारित व्यक्तित्व
बनो तम
मंगल कर्म सभी हों तेरे, जीवन का सम्मान करो
तुम




तारीफ़ करूँ कया तेरी, औ दुनिया के रखवाले
पाकीजा हो जाए दुनिया, ओ भक्तों के रखवाले
तेरी रहमत का साया , जो मिले बदलें सारे
नज़ारे लि
अपनी इबादत में ले लो हमको, ओ दो जहाँ के
रखवाले




नायाब नजारों से दुनिया को सजाया है तूने
इबादत का मंत्र दिया, फ़रिश्ता बनाया है
तूने
फुर्सत जो मिलनी तुझको मॉौला, इंसान
बनाया है तूने
फ़ाज़िल हो जाएँ हम सब, ये राज़ बताया है
तूने

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