Thursday 27 August 2015

किताब में छुपाकर - मुक्तक

१.

किताब मैं छुपाकर भेजा है ख़त मैंने
तुझको
तेरी एक नज़रे करम की 
आरज़ू है सनम

.२.

कुबूल है मुझको
तेरी हर एक सजा मेरे मौला
मकसदे इबादत मेरी जिन्दगी को
अता कर मेरे मौला



3.

खुद को कुर्बान कर सकूं 
तेरी इबादत में ऐ मेरे खुदा
कोई तो ऐसी सुबह
मुझको अता कर ऐ मेरे खुदा

4.


खुदा ने क्या सोचकर तुझे जमीं  पर भेजा
ये न पूछो तेरी मुहब्बत में 
क्या हाल है मेरा






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