Sunday 9 August 2015

उदासी में भी जो दो पल ख़ुशी के ढूंढे , जिन्दगी उसको नसीब होती है

१.


उदासी में भी जो दो पल ख़ुशी के ढूंढें , जिन्दगी उसको
नसीब होती है
तूफानों में भी जो न घबराए , मंजिल उसको नसीब होती है 

सागर  की लहरों से जो जूझे , किनारा उसको नसीब होता है 
खुदा की राह जो चलता , जन्नत उसको नसीब होती है

२.


खामोश रहकर भी जो बहुत कुछ कह जाए , तारीफ़
उसको नसीब होती है
करे जो  खिदमत खुदा के बन्दों की , जन्नत उसको नसीब

कुदरत के  कायदों पर है यकीन जिसे, सेहत उसको नसीब होती है 
करते हैं रोशन जो खुदा के नाम का चिराग, जन्नत उसको
नसीब होती है


3.

है खुदा की जियारत में यकीन जिसे , मुहब्बत उसको
नसीब होती है 
करते  हैं जो तारीफ़ खुदा की जो, तबस्सुम उनको नसीब होती है 

किसी के दामन को जो फूलों से भर दे , अमानत वो खुदा
की होती है
किसी की स्याह रातों को जो रोशन कर दे, जन्नत उसको
नसीब होती है 


4.

. गिरिफ्तार जो खुद को उस खुदा की इबादत में कर दे ,
_ जिन्दगी उसकी गजल होतीहै!

करते हैं जो खुद को निसार  को खुदा की राहों में , जन्नत
उसको नसीब होती है 

. जूनून की हृद तक खुदा के करम पर यकीन जिसे, इबादत .
उसको नसीब  होती है 
किसी के आशियाने को जो अपने यकीन से रोशन कर दे ,
जन्नत उसको नसीब होती है 






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