मशाल जलाओ कि बहुत अन्धेरा है
संगीत की रागिनी सुनाओ कि हुआ सवेरा है
आये हैं वो हमारी महफ़िल में हम
खुशकिस्मत हैं
सुनाओ संगीत कि लगा संगीत का मेला है
नदियाँ यूं ही कल - कल नहीं करतीं
जंगल यूं ही आबाद नहीं होते
मंजिल मिलती नही उनको
जिनके हौसले बुलंद नहीं होते
अपने जोश को जान दो
अपने प्रयासों को परवान दो
मंजिलें यूं ही आसां नहीं होतीं
अपने इरादों में जान दो
अपनी कोशिश में पवित्रता लाओ
अपने प्रयासों को अपना मुस्तकबिल बनाओ
अपनी कोशिश को खुदा की इबादत समझो
अपने प्रयासों में पाकीज़गी लाओ
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