Sunday 9 August 2015

रोशन करो चिराग - मुक्तक

१.


रोशन करो चिराग , दिलों से इल्लत (बुराई) को मिटाओ
रोशन करो दिलों को , जहां को नफरत से बचाओ

रोशन चिराग इबादत के , खुदा के करम से खुद को नवाजो
रोशन ईमान दिलों मैं , इंसानियत की अलख जगाओ


२.


अकेला हूँ खुद को किस तरह से
संभालूं ऐ खुदा

करम कर इंसानियत  की
मुझको कुर्बान कर


3.


तेरे एक इशारे पर खुद को तुझे,
नज़र कर दूं ऐ मैरे खुदा

किनारों पर बैठ लहरों का मज़ा लेने का 
मेरा कोई इरादा नहीं


4.

किस्मत को नहीं रोना चाहता हैँ ,
कलम को मेरा अस्त्र बना ऐ मेरे खुदा

कुछ दुनिया के बारे मैं लिखं , कुछ
अल्लफ़ाज़ तेरी तारीफ़ में:



5.


कुबूल मुझको तेरी खिदमत और
इबादत तेरी

करम कर इंसानियत का ज़ज्बा अता
कर मुझको ऐ मेरे खुदा


६.

गुमनाम होकर जीना नहीं मुझको ,
गुमराह होकर भटकना नहीं मुझको

चार दिन की जिन्दगी 
 कुर्बान तुझ पर मेरे मौला 




7.


जायज़ हो मेरी हर एक दुआ , तो
कुबूल करना ऐ मेरे खुदा

अपनी ही निगाहों में कुसूरवार
 मैं न हो जाऊं कहीं




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