Tuesday, 25 August 2015

मुसीबतों के दौर में , दो पल ख़ुशी के ढूंढो - मुक्तक

१.


मुसीबतों के दौर में, दो पत्र ख़ुशी के ढूंढ
 गर्मों की शाम में, खुशियों की सुबह को ढूंढ

सिसकती सॉँसों के समंदर में, उम्मीद की किरण को ढूंढ
वक्त के दरिया से, दो पल  जिन्दगी के ढूंढ

२.


मेरी अमानत हो जाए , या खुदा इबादत तेरी
मेरे अरमानों को नसीब हो जाए इनायत तेरी

आबरू मेरी रोशन हो एक करम से तेरे
हर एक खवाहिश के साथ, हो ये आरज़ू मेरी


3.

अपने आशियाने को उस खुदा के करम से सींचो
चारों पहर अपने दिल में उस खुदा का एहसास लिए


4.

आईना खुद से खुद की पहचान करा देता है.
दौरे मुसीबत में दोस्त को दोस्त से जुदा करा देत है.


5.

इतनी भी आसां नहीं है आसमान की उड़ान
दिल मैं जूनून , हौसलों का साथ ज़रूरी है


६.


इबादत उस खुदा की, तेरा मकसदे जिन्दगी हो
तुझे किसी के इशारे का इंतज़ार न हो





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