Sunday 23 August 2015

तेरी यादों का साया - मुक्तक

१.



तेरी यादों का साया , मुझसे
कभी जुदा न हो
इस आरज़ू को बना लिया मैने ,
एहसासे मुहब्बत अपना


२.


वो मुझे चाहकर भी,
अपना कह न सके

मेरे प्यार में कोई कमी थी
या उनकी मजबूरी


3.


उन्हें हमारा अंदाज़े मुहब्बत रास न आया ,
कोई बात नहीं
चलो हम अपना इजहारे मुहब्बत ,
बदल लेते हैं तेरी खातिर


4.



इस दिल के ज़ख्मों को करार आये
तुम आ जाओ
इस जिन्दगी में बहार आ जाए
तुम आ जाओ



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