Monday, 10 August 2015

सहारा समझा था जिन्होंने , बेसहारा किया उन्होंने

सहारा समझा था जिन्हें अपना , बेसहारा किया उन्होंने

सहारा समझा था जिन्हें अपना , बेसहारा किया उन्होंने
इस रंग बदलती दुनिया में अपना कहें जिसे
समझा था जिन्हें अपना, वे ही निकले पराये
इस मौकापरस्त दुनिया में , अपना कहें किसे
वादा किया था ,पर वो वादा निभा न सके
ऐसे बेगैरत लोगों में अपना कहें किसे
चाहा था मैंने जिनको , बेवफा हुए साबित
ऐसे दिल तोड़ने वालों में , अपना कहें किसे
वतनपरस्ती का ज़ज्या साबित न कर सके वो
ऐसे देश के गद्दारों में अपना कहें किसे
दो वक़्त की रोटी , माँ बाप को जो दे न सके
ऐसी बेगैरत औलादों में अपना कहें किसे
चंद सिक्कों की खातिर बेच देते हैं जो ईमान अपना
ऐसे देश के ठेकेदारों में अपना कहें किसे
सपने दिखाकर , सपनों को चकनाचूर कर देते हैं वो
ऐसे सपनों के सौदागर में अपना कहें किसे
मेरी मुहब्बत को जो अंजाम तक न पहुंचा सके
ऐसे मुहब्बत के सितमगरों में अपना कहें किसे
अपनी किस्मत को हमेशा कोसा करते हैं वो
ऐसे कामचोरों की भीड़ में अपना कहें किसे
जिसके करम से इस जहां में आये थे उसको भुला दिया
ऐसे खुदा की राह से फिरने वालों में अपना कहें किसे


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