Sunday, 31 May 2020

अपने ही देश में


अपने ही देश में

अपने ही देश में मुझको पराया कर दिया
न जाने क्यूं मुझको बेगाना कर दिया

कोरोना की इस त्रासदी में लोगों ने छला है मुझको
मजदूर हूँ क्यूं मुझको मजबूर कर दिया

सजाता हूँ संवारता हूँ , मैं ही शहर को
न जाने क्यूं इस शहर ने बेगाना कर दिया

दो वक़्त की रोटी के लिए जीते हैं सब
मैंने दो रोटी मांगकर , क्या गुनाह कर दिया

पैदल चलने की पीड़ा को , कैसे बयां करूं मैं
सरकार ने इंसानियत का चीरहरण कर दिया

पीर अपने दिल की सुनाएँ क्या और किसे
कुर्सी के मतवालों से दिल में खंजर घोंप दिया

क्यूं जन्म ले रहे हैं बच्चे सड़क पर
मानवता को इन नेताओं ने तार  - तार कर दिया

सोचकर निकले थे पहुंचेंगे अपने गाँव
मंजिल से पहले ही यमराज ने प्राण हरण कर लिया

अपने ही देश में हम प्रवासी हो गए
शायद हम इंग्लैंड के निवासी हो गए
गर ऐसा हो जाता तो हम भी प्लेन से आते
यूं सड़क पर ट्रकों से कुचले न जाते

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