क़ुबूल कर मेरी आशिक़ी
क़ुबूल कर मेरी
आशिकी को, यूं इनकार न कर
इस आशिके - मजनू को , यूं बेकरार न कर
कुबूल कर मेरी
आशिकी को, यूं इनकार न कर
दिल के दर्द को ,
बयाँ करूँ तो करूँ कैसे
गिरिफ़्तार हो मेरी
मुहब्बत में , खुद को गुमराह न कर
कुबूल कर मेरी
आशिकी को, यूं इनकार न कर
क्यूं गुमसुम सी रहती
हो , क्या खुद से मुहब्बत नहीं तुझको
खुद से कर मुहब्बत ,
खुद को यूं बेकरार न कर
कुबूल कर मेरी आशिकी को, यूं इनकार न कर
इश्क में खुद को कर
कुर्बान, यूं इंतज़ार न कर
अपनी जिन्दगी को
जहन्नुम न बना , इश्क में परवान कर
कुबूल कर मेरी
आशिकी को, यूं इनकार न कर
खुद पर ज़ुल्म न कर ,
मेरी मुहब्बत पर एतबार कर
अपने दीदार से कर
मुझको मालामाल , यूं बेकरार न कर
कुबूल कर मेरी
आशिकी को, यूं इनकार न कर
इस पाकीज़ा मुहब्बत
को, खुदा का तोहफा समझ
नाउम्मीदी का दामन
छोड़, खुद पर एतबार तो कर
कुबूल कर मेरी
आशिकी को, यूं इनकार न कर
No comments:
Post a Comment