खिलाये फूल मुहब्बत
के
खिलायें फूल मुहब्बत
के , आशिकी में डूब जाएँ हम
किसी को गुनगुनाएं हम
, किसी पर मुस्कुराएँ हम
उनके पहलू में सिर रख
के , प्यार के गीत गएँ हम
किसी की याद में खोएं
, किसी को याद आयें हम
हमें अपना कहे
कोई,उन्हें अपना बना लें हम
किसी को मुहब्बत की
खुदा कह के, उनसे नज़रें मिलाएं हम
उनकी अदाओं पर मर
मिटें हम, उन्हें अपना बनाएं हम
पीर दिल की दिल में
रख लें , उनको गम से क्या मिलाएं हम
उनके ग़मों को हम सी
दें, अपने सारे गम छुपायें हम
किसी को चाँद कह दें
हम , किसी का चाँद हो जाएँ हम
उनसे कभी नज़रें
मिलाएं हम, कभी नज़रें चुराएं हम
आस्किकी का खेल हे
प्यारे , उन पर मर मिट जाएँ हम
चाँद भी तोड़ लायेंगे
, आसमां पर बिठाएँगे
चीरकर अपने इस दिल
को, मुहब्बत से मिलायेंगे
पराये हो गए तो क्या
, हमें खूब याद आये तुम
क्यूं उनकी याद में
रोयें, और उन्हें क्यूं भुलाएँ हम
No comments:
Post a Comment