Monday 11 February 2019

क्यूं कहें किसी को बेगाना


क्यूं कहें किसी को बेगाना

क्यूं कहें किसी को बेगाना , क्यूं न कहें अपना
रिश्तों को बनाए रखने का ,इससे बेहतर ज़रिया क्या

कोई नाराज़ हो जाए ,तो उसे मना लेना
रिश्तों में बेरुखी का ,भला काम क्या

क्यूं न हम किये वादे ,निभाकर देखें
क्यूं न हम रूठे रिश्ते ,मनाकर देखें

क्यूं न हम किसी के ग़मों को ,चुराकर देखें
क्यूं न हम किसी के लबों पर ,मुस्कान लाकर देखें

क्यूं न हम इस कायनात की हर एक चीज से ,मुहब्बत कर देखें
क्यूं न हम इस गुलशन को ,रोशन कर देखें

क्यूं न हम कुछ गीत मुहब्बत के ,लिखकर देखें
क्यूं न हम खुदा की इस दुनिया से ,मुहब्बत कर देखें

क्यूं न हम रिश्तों को ,पाकीज़गी अता कर देखें
क्यूं न हम अपनों को ,अपना कहकर देखें

क्यूं न हम इस कायनात का ,आलिंगन कर देखें
क्यूं न हम इस जहाँ को उपवन सा ,रोशन कर देखें



No comments:

Post a Comment