क्यूं कहें किसी को बेगाना
क्यूं कहें किसी को बेगाना ,
क्यूं न कहें अपना
रिश्तों को बनाए रखने का ,इससे
बेहतर ज़रिया क्या
कोई नाराज़ हो जाए ,तो उसे
मना लेना
रिश्तों में बेरुखी का ,भला
काम क्या
क्यूं न हम किये वादे ,निभाकर
देखें
क्यूं न हम रूठे रिश्ते ,मनाकर
देखें
क्यूं न हम किसी के ग़मों को
,चुराकर देखें
क्यूं न हम किसी के लबों पर
,मुस्कान लाकर देखें
क्यूं न हम इस कायनात की हर
एक चीज से ,मुहब्बत कर देखें
क्यूं न हम इस गुलशन को ,रोशन
कर देखें
क्यूं न हम कुछ गीत मुहब्बत
के ,लिखकर देखें
क्यूं न हम खुदा की इस
दुनिया से ,मुहब्बत कर देखें
क्यूं न हम रिश्तों को ,पाकीज़गी
अता कर देखें
क्यूं न हम अपनों को ,अपना
कहकर देखें
क्यूं न हम इस कायनात का ,आलिंगन
कर देखें
क्यूं न हम इस जहाँ को उपवन
सा ,रोशन कर देखें
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