Monday 11 February 2019

आदमी को गर इंसान होना नसीब होता


आदमी को गर इंसान होना नसीब होता

आदमी को गर इंसान होना नसीब होता
चाहतों में यूं रिश्तों का खून न होता

आदमी को गर इंसानियत नसीब होती
यों गली  - गली “ निर्भया ” चीरहरण न होता

आदमी को गर पाक  - दामन नसीब होता
यूं धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर दंगा न होता

आदमी को गर मानवता नसीब होती
यूं सड़कों पर इंसानियत तार  - तार न होती

आदमी को गर  “ नारी सर्वत्र पूज्यन्ते “ का भाव समझ आता
कचरों के ढेर पर नवजात यूं कुत्तों का निवाला न होता

आदमी को गर खुदा पर यकीन जो होता
खुदा की इस दुनिया में कोई यतीम न होता

आदमी को गर आदमी पर एतबार होता
आदमी ही आदमी का यूं दुश्मन न होता

आदमी की गर नीयत साफ़ होती
यूं सुनामी, भूकंप, महामारी का अंबार न होता

आदमी को गर इंसान होना नसीब होता
चाहतों में यूं रिश्तों का खून न होता







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