आदमी को गर इंसान होना नसीब
होता
आदमी को गर इंसान होना नसीब
होता
चाहतों में यूं रिश्तों का
खून न होता
आदमी को गर इंसानियत नसीब
होती
यों गली - गली “ निर्भया ” चीरहरण न होता
आदमी को गर पाक - दामन नसीब होता
यूं धर्म और सम्प्रदाय के
नाम पर दंगा न होता
आदमी को गर मानवता नसीब
होती
यूं सड़कों पर इंसानियत तार - तार न होती
आदमी को गर “ नारी सर्वत्र पूज्यन्ते “ का भाव समझ आता
कचरों के ढेर पर नवजात यूं
कुत्तों का निवाला न होता
आदमी को गर खुदा पर यकीन जो
होता
खुदा की इस दुनिया में कोई
यतीम न होता
आदमी को गर आदमी पर एतबार
होता
आदमी ही आदमी का यूं दुश्मन
न होता
आदमी की गर नीयत साफ़ होती
यूं सुनामी, भूकंप, महामारी
का अंबार न होता
आदमी को गर इंसान होना नसीब
होता
चाहतों में यूं रिश्तों का
खून न होता
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