Monday, 11 February 2019

मुहब्बत के गीत लिखता हूँ


मुहब्बत के गीत लिखता हूँ

मुहब्बत के गीत लिखता हूँ , मुहब्बत मेरी इबादत है
खुदा की इस दुनिया में , मुहब्बत से बेहतर खुदा भी है क्या

हर एक ख्वाहिश को ,उस खुदा की नज़र करता हूँ
मैं मुहब्बत में बिताये हर एक पल को ,उस खुदा की नज़र करता हूँ

जिस पर मेरी नज़र उस पर ,किसी और की नज़र न हो
ये मेरे दिल का डर नहीं ,मुहब्बत की इंतिहा है

मेरे  तन्हाई भरे पलों को ,अपनी आशिक़ी से रोशन कर
ये मेरी आरज़ू है , दिल की गहराई से

मेरी आशिक़ी का हुआ यूं असर, न सुबह न शाम की खबर
हुआ ये कैसा असर , मैं तड़पता इधर तू तड़पती उधर

उसकी शोख अदाओं का हुआ ,ये कैसा असर
न हम अपने घर के ही रहे ,न ही इस दुनिया के

कुछ फूल उसकी नज़र पेश किये ,तो वो ख़ुशी से झूम उठे
ये अंदाज़े - मुहब्बत नहीं है ,तो और क्या है

मुहब्बत में रिश्ता  - ऐ – वफ़ा का ख्याल ,तुम्हें हो न हो
हमें तो हर एक रिश्ते में ,खुदा नज़र आता है


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