Monday 4 February 2019

मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें


मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें

मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें
चरितार्थ करने ही होंगे मुझे अपने सपने

मंजिल के चरम को छूना ही होगा मुझको
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें

रोशन करना ही होगा अपना आशियाँ मुझको
चीरकर अन्धकार को आगे बढना ही होगा मुझको

अपने पंखों को एक खुला आसमां देना ही होगा
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें

पानी ही होगी मंजिल अपने प्रयासों के बूते
कोशिशों का एक समंदर सजाना ही होगा मुझको

अपनी हर एक कोशिश को दिखानी होगी सच की राह
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें

खुद को खुद का खैख्वाह बनाना ही होगा मुझको
“ एकला चलो ” ये गीत गुनगुनाना ही होगा मुझको

अपने सपनों का , अपनी कोशिशों का एक महल सजाना ही होगा मुझको
आखिर मुझे खुद से हैं बहुत सी उम्मीदें




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