इस मौकापरस्त दुनिया में
इस मौकापरस्त दुनिया में , इंसानियत का ज़ज्बा रोशन करें
तो करें कैसे
इंसान के इंसान में तब्दील होने की सूरत नज़र नहीं आती
बिखरते - टूटते
रिश्तों में प्यार की गर्मी का एहसास जगाएं तो जगाएं कैसे
बिखरते - टूटते
रिश्तों के मुहब्बत में तब्दील होने की सूरत नज़र नहीं आती
क्यूं कर एक बेटे ने मोड़ लिया है मुंह अपनी माँ से
माँ और बेटे को करीब लाने की कोई सूरत नज़र नहीं आती
एक दूसरे को
गिराकर आगे बढ़ने की चल पड़ी है होड़
खुदा के इन बन्दों को एक दूसरे के करीब लाने की सूरत नज़र
नहीं आती
हर एक के दामन में हैं दाग, ये एहसास है उन्हें
उनके दामन को पाकीजगी अता हो ये सूरत नज़र नहीं आती
गिले - शिकवे
में बीती जा रही जिन्दगी खुद को समझाएं कैसे
दिलों में मुहब्बत का ज़ज्बा रोशन करने की सूरत नज़र नहीं
आती
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