मनोहर तेरी छवि है
मनोहर तेरी छवि है , मनोरम है तेरा रूप
चरणों में मुझको रखना , करना न खुद से दूर
पावन हैं कर्म तेरे , अनुपम छटा है तेरी
अपना हमें बना लो, यह विनती है मेरी
हम पर कृपा हो तेरी, मथुरा के रहने वाले
कष्टों से मुक्त करना, जगत के रखवाले
मुस्कान तेरी कान्हा, खुशियाँ हज़ार देती
पुण्य कर्म कर दो, वृन्दावन के रहने वाले
तुझ पर लुटा दें हम , अपनी ये जिंदगानी
ख्वाहिश रहे न बाकी , इबादत हो जाए जिंदगानी
राह धर्म की प्रभु, हमको भी दिखाओ तुम
मर्म जिन्दगी का , हमको भी बताओ तुम
धर्म और कर्म का , मेल हो जाएँ हम
जितनी भी जिन्दगी हो, तुझ पर लुटा दें हम
ओ बांसुरी बजाने वाले , गउओं के रखवाले
ओ सुदामा के प्यारे, जीवन सजाने वाले
मनोहर तेरी छवि है , मनोरम है तेरा रूप
चरणों में अपने मुझको रखना , करना न खुद से दूर
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