Monday 10 April 2017

मंजिल की ओर एक कदम बढ़ा के तो देख - मुक्तक

१.

मंजिल की ओर एक कदम बढ़ा के तो देख

अगले दस कदम तेरा खुदा होगा तेरे साथ

२.

अपने अरमानों को कोशिशों के पंख लगाकर तो देख

तेरी कोशिशों को नसीब होगी एक खुशनुमा मंजिल


3.

अपने प्रयासों को अपनी मंजिल की अमानत कर के तो देख

तेरे प्रयासों को एक नायाब आसमां होगा नसीब


4.

अपने आँचल में खुद के लिए थोड़ी सी जगह बना के तो देख

रोशन होगा तेरा हर पल , और उस खुदा से तुझे होगा मुहब्बत का.


5.

अपने भीतर की इंसानियत , खुदा के बन्दों पर लुटा के तो देख

तुझ पर होगी दुआओं की बरसात और तुझे होगी जन्नत नसीब

६.


आब - ए - आईना में देखकर, खुद को यूं मायूस न कर

खुदा की निगाह में , अपनी कोशिशों से खुद को कर बुलंद

7.

इतना भी आसां नहीं है ,खुद को आदमी बनाए रखना

आदमी अपनी आदमियत बरकरार रखे , तो हो जाए उस खुदा का
शागिर्द

8.

उस आसमानी खुदा पर एक बार , यकीन कर के तो देख

जीते जी तुझे होगी जन्नत नसीब और होगा तुझ पर उस
खुदा का करम
















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