Tuesday, 18 April 2017

वह जिन्दगी भी क्या जिन्दगी और नए एहसास - मुक्तक

१.


आहिस्ता - आहिस्ता जो मंजिल  की ओर  , कदम रखते नहीं

उनके नसीब में  , मंजिल के दीदार होते नहीं .

 
२.


आसमानी खुदा से जो मांगते हैं, जिन्दगी में चैन और सुकून 


रोशन होता है उनकी जिन्दगी का हर पल, रहते हैं वो ग़मों से कोसों दूर 


3.

आ वार पंछी की तरह जीते हैं जो, अपनी जिन्दगी का हर पल 

उनकी जिन्दगी का आशियाँ , कभी रोशन होता ही नहीं 

4.



आसमां से दूर कहीं आशियाँ बनाने की, जुर्रत की है मैंने 

मेरे इस ख़्वाब को उस हुदा का करम, नसीब हो जाए तो अच्छा हो 


5.

आसां है किसी के उजड़ते चमन को देखकर हंस देना 

किसी के उजड़े चमन को रोशन करो , तो कोई बात बने 


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