मेरी कलम को तासीर अता कर मौला
मेरी कलम को तासीर अता कर मौला
मेरे विचारों को अपनी इबादत कर मौला
मेरे यकीन को मेरी अमानत कर मौला
मेरी स्याह रातों को रोशनी अता कर मौला
मुझे गर्मो से बचाकर रख मौला
मेरी इबादत को अपनी अमानत कर मौला
इस नाचीज़ को अपना अज़ीज़ कर मौला
मेरे आशियाँ को अपनी इबादतगाह कर मौला
इस नाचीज़ को आलिमं कर मौला
मुझे भी खुशियों भरा आसमां अता कर मौला
जब तक जियूं तेरे दर का चराग होकर जियूं मौला
आहिस्ता - आहिस्ता ही सहीं मुझपर करम कर मौला
मेरा भी इकबाल बुलंद कर मौला
मुझ पर भी थोड़ा सा एतबार कर मौला
तैरी नजरों में रतबा मैरा रहे कायम मौला
मुझे भी अपना शागिर्द कर मौला
मेरी इबादत तेरे दर पर कुबूल हो मौला
मेरी जिन्दगी को भी किलारा अता कर मौला
मुझे भी अपना कायल कर मौला
मुझे भी अपने करीब कर मौला.
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