Tuesday, 25 April 2017

मेरी कलम को तासीर अता कर मौला

मेरी कलम को तासीर अता कर मौला

मेरी कलम को तासीर अता कर मौला
मेरे विचारों को अपनी इबादत कर मौला

मेरे यकीन को मेरी अमानत कर मौला
मेरी स्याह रातों को रोशनी अता कर मौला

मुझे गर्मो से बचाकर रख मौला
मेरी इबादत को अपनी अमानत कर मौला

इस नाचीज़ को अपना अज़ीज़ कर मौला
मेरे आशियाँ को अपनी इबादतगाह कर मौला

इस नाचीज़ को आलिमं कर मौला
मुझे भी खुशियों भरा आसमां अता कर मौला

जब तक जियूं तेरे दर का चराग होकर जियूं मौला
आहिस्ता - आहिस्ता ही सहीं मुझपर करम कर मौला

मेरा भी इकबाल बुलंद कर मौला
मुझ पर भी थोड़ा सा एतबार कर मौला

तैरी नजरों में रतबा मैरा रहे कायम मौला
मुझे भी अपना शागिर्द कर मौला

मेरी इबादत तेरे दर पर कुबूल हो मौला
मेरी जिन्दगी को भी किलारा अता कर मौला

मुझे भी अपना कायल कर मौला
मुझे भी अपने करीब कर मौला.




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