Tuesday, 18 April 2017

किस की आँखों में नहीं हैं आंसू

किस की आँखों में नहीं हैं आंसू

किसकी आँखों मैं , नहीं हैं आंसू
किसकी साँसों में , पलता दर्द नहीं

एक चॉद की चाह में , तड़पता हर एक शख्स
हर एक शख्स मुझे , ग़मगीन नज़र आता है यहाँ

कौन कहता है , किसी से हुई मुझे मुहब्बत नहीं
कौन कहता है , मुझे खुदा पर एतबार नहीं

कौन कहता है मुझे , चाँद - तारों की आरज़ू नहीं
हर एक शख्स मुझे आरजुओं का समंदर , नज़र आता है यहाँ

किसके आशियाने में हैं , दो फूल नहीं
किसकी चाहत के फूल , नहीं हुए रोशन

किसकी स्याह रातों में , उसकी बाहों का उजाला नहीं
हर एक शख्स खुद को बहकाता , नज़र आता है यहाँ

किसी अनाथ को अपने गले , लगाते नहीं क्यों
किसी गिरते को संभालने का ज़ज्बा , दिखाते नहीं क्यों

किसी की राह के कांटे बटोरने की आरज़ू , नहीं रखते क्यों
हर एक शख्स मतलबी - मतलबी सा , नज़र आता है यहाँ

किसकी आँखों मैं , नहीं हैं आंसू
किसकी साँसों में , पलता दर्द नहीं

एक चॉद की चाह में , तड़पता हर एक शख्स
हर एक शख्स मुझे , ग़मगीन नज़र आता है यहाँ




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