Thursday, 28 July 2016

कान्हा मैं तेरे दर पर - भजन



कान्हा मैं तेरे दर पर

कान्हा मैं तेरे दर पर , आऊँ तो आऊँ कैसे
खुद को मैं तेरा , बनाऊँ तो बनाऊं कैसे

भटक रहा हूँ तेरी तलाश में ,शहर से शहर
तेरा पता मैं लगाऊँ ,तो लगाऊं कैसे

मुझे उम्मीद है , एक दिन ढूंढ लूँगा मैं तुझे
तेरे आशियाँ को अपना ,आशियाँ बनाऊं तो बनाऊं कैसे

तेरी कृपा तेरे करम पर है ,भरोसा मुझको कान्हा
इस भरोसे को हकीकत में ,सजाऊँ तो सजाऊँ कैसे

मुझे कुबूल है तेरा हर एक करम कान्हा
तेरी राह में खुद को ,मिटाऊँ तो मिटाऊँ कैसे

चीख पुकार मची है ,इस तेरी दुनिया में कान्हा
इस दुनिया को तेरे सच से ,मिलाऊँ तो मिलाऊँ कैसे

कामना , लालसा में उलझी ,जिन्दगी जी रहे हैं सब
तेरे बन्दों को तेरी इबादत का पाठ ,पढ़ाऊं तो पढ़ाऊं कैसे

क्योंन विश्वास नहीं है ,इस दुनिया को तुझ पर कान्हा
इस दुनिया को ,तेरे दर तक लाऊँ तो लाऊँ कैसे

तेरी इबादत , तेरी सेवा को कर लूं मैं अपना धर्म कान्हा
मोक्ष की राह पर ,आऊँ तो आऊँ कैसे

कान्हा मैं तेरे दर पर , आऊँ तो आऊँ कैसे
खुद को मैं तेरा , बनाऊँ तो बनाऊं कैसे

भटक रहा हूँ तेरी तलाश में ,शहर से शहर
तेरा पता मैं लगाऊँ ,तो लगाऊं कैसे







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