Tuesday 18 February 2020

जीवन संघर्ष


जीवन संघर्ष

अंगीकार कर लिया मैंने
अपनी माँ के चरित्र को
अनुराग – विराग के बीच झूलती
अबल  - सबल के बीच संबल स्थापित करती
अपनी मधुर वाणी से सबको प्रभावित करती

मुझे लेकर कुछ ज्यादा ही
चिंचित रहा करती
मेरे चेहरे की उदासी
उसे भीतर तक विव्हल कर देती

उसका परिवार के प्रति प्रेम
उसकी कर्तव्यपरायणता
उसका जीवन संघर्ष
सब मुझे प्रेरित करता है

उसके चहरे पर उभरती चिंता की लकीरें
धन के अभाव ने
कुछ बोझिल किया
उसे और शायद हमारे जीवन को भी

यह अभावयुक्त जीवन भी प्रेरित करता है
एक नई सुबह की आस में
स्वयं को झोंकता
प्रयासों के कुरुक्षेत्र में

आज नहीं तो कल  
मुझे सफल होना ही है
मुझे इन अभावों से बाहर आ
स्वयं को स्थापित करना ही है

यह संघर्ष का दौर मुझे खूब भाया
अब विपत्तियों से डरता नहीं हूँ मै
माँ का जीवन संघर्ष
दे गया सीख मुझको

परिस्थितियों से लड़ने को
न की डरकर भागने को
आखिर जीवन हमारा ही है तो
इसे संवारना भी हमें ही है

संघर्षों के दौर में भी
विपत्तियों के अथाह सागर में भी
एक हौसले का साथ लिए
हौसला जो माँ के जीवन का अलंकरण रहा

अंगीकार कर लिया मैंने
अपनी माँ के चरित्र को
अनुराग – विराग के बीच झूलती
अबल  - सबल के बीच संबल स्थापित करती
अपनी मधुर वाणी से सबको प्रभावित करती


1 comment:

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete