मेरा
साया ही जब मेरा न हुआ
मेरा
साया ही जब मेरा न हुआ
तो
इसमें खता किसकी
न
जाने क्यूं रिश्तों को निभाने की
दुहाई
देते हैं लोग
मैं
अपनी खुशनसीबी पर
करूं
उस खुदा का शुक्रिया अदा
कामयाबी
के इस दौर में अक्सर
खुदा
को भूल जाते हैं लोग
सहृदयता
दिखाने का अब
दौर
गया है बीत
रिश्तों
में मर्यादा का अभाव
अब
दिलों में नश्तर चुभोने लगा है
दूसरों
का बुरा कर खुद के लिए
अच्छा
होने का सोचते हैं कुछ लोग
बुरे
का सिला बुरा होता है
शायद
वे ये जानते नहीं
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