मेरा मकसद
मेरा
मकसद किसी चलते को गिराना नहीं
मेरा
मकसद किसी को ग़मों के आंसुओं में डुबोना नहीं
मेरा
मकसद किसी की राह में रोड़े अटकाना नहीं
मेरा
मकसद किसी के आशियाँ को स्याह समंदर में डुबोना नहीं
मेरा
मकसद किसी की मुस्कान को गम के समंदर में डुबोना नहीं
मेरा
मकसद किसी की खुशियों पर नज़र लगाना नहीं
मेरा
मकसद किसी की इबादत में खलल डालना नहीं
मेरा
मकसद चाँद सितारों को ज़मीं पर लाना नहीं
मेरा
मकसद किसी के गम को और बढ़ाना नहीं
मेरा
मकसद किसी के दामन में कांटे सजाना नहीं
मेरा
मकसद किसी के खिलते चेहरे को मुरझाना नहीं
मेरा
मकसद है खिलता रहे ये आशियाँ ऐ – मेरे खुदा
यूं
ही तेरे करम से रोशन हो ये कायनात ऐ मेरे खुदा
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