Friday, 17 April 2020

अंदाज़े बयाँ


अंदाज़े बयाँ

काबिल कर  खुद को, कर न गुमां खुद पर
चार दिन की जिन्दगी , राहे – इंसानियत पर कर निसार

कुदरत से खेलने की जुर्रत न कर , ये वो एटम बम है
जब फटेगा तो कर देगा सब कुछ तहस – नहस एक ही पल में

गिरफ्तार जो होना है तो हो , उस खुदा की इबादत में गिरफ्तार
यही वो मुकाम है जो तुझे तेरे होने का एहसास करा देगा तुझको

उस खुदा की निगाह में चश्म  - ओ  - चिराग हो जा
ये वो एहसास है जिसका कोई मोल नहीं

जिन्दगी की जंग यूं ही नहीं हारना है तुझको
कुछ उपवन है करने रोशन , कुछ आशियाँ हैं करने रोशन तुझको

नाउम्मीदी जिन्दगी को जहन्नुम बना देती है
 जिन्दगी जिन्दगी नहीं रहती , बोझ हो जाती है

गुमराह नहीं होना है , तुझको राहे  - इबादत से
खुद को करना है बुलंद , बना लेना है खुदा का शागिर्द


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