वो कठपुतली का नाच
वो कठपुतली का नाच
वो बन्दर की बांदरी से
शादी का खेल
वो बीन की धुन पर
सांप का फुफकारना
वो हाथी की पीठ पर सैर
वो ऊंटनी के नीचे से निकलना
वो लुका - छिपी का खेल
काश वो दिन
'फिर से लौट आयें
काश मैं फिर से छोटा हो पाता
मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित