Tuesday, 25 April 2017

वो कठपुतली का नाच


वो कठपुतली का नाच

वो कठपुतली का नाच
वो बन्दर की बांदरी से
शादी का खेल

वो बीन की धुन पर
सांप का फुफकारना

वो हाथी की पीठ पर सैर
वो ऊंटनी के नीचे से निकलना

वो लुका - छिपी का खेल

काश वो दिन

'फिर से लौट आयें

काश मैं फिर से छोटा हो पाता




मैं अपनी कलम को

मैं अपनी कलम को

मैं अपनी कलम को

उनकी आवाज़ बनाना चाहता हूँ
जिनकी आवाज़ छीन ली गयी

मैं अपनी कलम को

उनकी ख़ुशी का माध्यम बनाना चाहता हूँ
जिनकी खुशियों पर विराम चिन्ह लगा दिया गया

मैं अपनी कलम से

उनके आंसू पोंछना चाहता हूँ
जिन्हें ऱामों के अथाह समंदर में धकेल दिया गया है

मैं अपनी कलम से

उनकी जिन्दगी में रोशनी फैलाना चाहता हूँ
' जिनकी जिन्दगी में कभी रोशनी का सूरज उगा ही नहीं

मैं अपनी कलम से

प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य की विरासत सौंपना चाहता हूँ
जिसे हमने आँखें होते हुए भी अनुभव किया ही नहीं

मैं अपनी कलम को

जीवन के सच से परिचय कराने का माध्यम बनाना चाहता हूँ
जिसे हमने अभी तक महसूस किया ही नहीं

मैं अपनी कलम से

उन अनसुलझे प्रश्नों के हल खोजना चाहता हूँ
जिन्हें हमने चाहकर भी सुलझाने की कोशिश भी नहीं की

मैं अपनी कलम से

कुछ गीत ऐसे रचना चाहता हूँ
जो जीवन को संगीत रुपी धड़कन दे सकें

मैं अपनी कलम को

उन बेजुबानों की आवाज़ बनाना चाहता हूँ
जिनकी आवाज़ रसूखदारों के जूतों तले दबा दी गयी

मैं अपनी कलम को

खुशबू से करे उपवन की सौगात बनना चाहता हूँ
जो जीवन के ग़मगीन पलों में खुशियों का एहसास दे

मैं  अपनी कलम को

उस नन्ही  परी की मुस्कान बनाना चाहता हूँ
जिसे उसकी माँ का प्यार नसीब हुआ ही नहीं

मैं अपनी कलम से

कुछ ऐसा रचना चाहता हूँ
जो जिन्दगी को एक नई दिशा दे सके
किसी की सूनी जिन्दगी मैं जीने का ज़ज्बा जगा सके

मैं अपनी कलम से

उस खुदा की इबादत में कुछ 'लिखना चाहता हूँ 
जो उस खुदा के बन्दों को ग़मों से निजात दिला
उनकी जिन्दगी को रोशन कर सके

मैं अपनी कलम से
मैं अपनी कलम से
मैं अपनी कलम से


मेरी कलम को तासीर अता कर मौला

मेरी कलम को तासीर अता कर मौला

मेरी कलम को तासीर अता कर मौला
मेरे विचारों को अपनी इबादत कर मौला

मेरे यकीन को मेरी अमानत कर मौला
मेरी स्याह रातों को रोशनी अता कर मौला

मुझे गर्मो से बचाकर रख मौला
मेरी इबादत को अपनी अमानत कर मौला

इस नाचीज़ को अपना अज़ीज़ कर मौला
मेरे आशियाँ को अपनी इबादतगाह कर मौला

इस नाचीज़ को आलिमं कर मौला
मुझे भी खुशियों भरा आसमां अता कर मौला

जब तक जियूं तेरे दर का चराग होकर जियूं मौला
आहिस्ता - आहिस्ता ही सहीं मुझपर करम कर मौला

मेरा भी इकबाल बुलंद कर मौला
मुझ पर भी थोड़ा सा एतबार कर मौला

तैरी नजरों में रतबा मैरा रहे कायम मौला
मुझे भी अपना शागिर्द कर मौला

मेरी इबादत तेरे दर पर कुबूल हो मौला
मेरी जिन्दगी को भी किलारा अता कर मौला

मुझे भी अपना कायल कर मौला
मुझे भी अपने करीब कर मौला.




महसूस कर रहा हूँ - मुक्तक

महसूस कर रहा हूँ


महसूस कर रहा हूँ
उस व्यथा को

उस झुंझलाहट को

जो सब कुछ
पास होने के बावजूद

जीवन में कुछ रिक्त होने का
आभास कराता है

शायद जीवन की

यह मंजिल नहीं










थका - थका सा - मुक्तक

थका - थका सा

थका -थका हुआ सा

टूदा - टूटा हुआ सा

महसूस कर रहा हूँ

मुझे वो माँ की

लोरियां फिर से सुना दो

माँ के आँचल का

'फिर से सहारा दे दो

उस पुण्यमूर्ति से कह दो

मैं ढूंढ रहा हूँ तुझको

यहीं कहीं आसपास




कुछ पल के लिए ही सही , मेरी जिन्दगी में आ जाओ

कुछ पल के लिए ही सही, मेरी जिन्दगी में आ जाओ

कुछ पल  के लिए ही सही , मेरी जिन्दगी में आ जाओ
दे दो कुछ खुशनुमा पल मेरी जिन्दगी को भी, मेरी बाहों में समा जाओ

मेरी स्याह रातों को करो रोशन, पूनम के चॉद की मानिंद
दो पल  के लिए ही सही, मेरा आशियाँ रोशन कर जाओ

बहु आरज़ू थी तेरी मुस्कराहट हो , जिन्दगी मेरी
दो पल के लिए ही सही, मेरे घर का ऑगन महका जाओ

मैंने ख़वाबों में किये तेरे दीदार बहुत
दो पल के लिए ही सही, अब तो मेरे रूबरू हो जाओ

'किसी को पाना किसी को खोना, ये खुदा की मर्ज़ी
दो पल के लिए ही सही, मेरी इबादत का हिस्सा हो जाओ

मेरे खवाबों की मल्लिका हो तुम , ए जाने ग़ज़ल
दो पल के लिए ही सही , मेरी बाहों का सिराना हो जाओ.

कुछ पल  के लिए ही सही , मेरी जिन्दगी में आ जाओ
दे दो कुछ खुशनुमा पल मेरी जिन्दगी को भी, मेरी बाहों में समा जाओ

मेरी स्याह रातों को करो रोशन, पूनम के चॉद की मानिंद
दो पल  के लिए ही सही, मेरा आशियाँ रोशन कर जाओ





कान्हा की मुस्कान होली

कान्हा की मुस्कान होली

कान्हा की मुस्कान होली , मथुरा की शान होली
वृन्दावन मैं झूम उठे सब, राधा संग खेलें श्याम होली

कृष्ण की मुस्कान हौली, मथुरा की खुशबू में हौली
गोकुल का प्यार हौली, वृन्दावन की सौगात होली

बरसाने की फुहार होली, जिन्दगी का रास होली
राधा की उम्मीद होली, कान्हा का प्यार होली

प्रेम का विस्तार होली, रिश्तों का संसार होली.
बांसुरी की तान होली, ग्वालों की मुस्कान होली

मुस्काते चेहरों पर, रंगों का खुमार होली
बुज में सुबह - शाम होली, ग्वालनों का प्यार होली

 बरसाने का प्यार होली, खुशियों की बरसात होली
गीतों की फुहार हौली, कन्हैया का प्यार होली

जीवन का प्रकाश होली, रंगों की बहार होली
कृष्ण - राधे का प्यार होली , जीवन का श्रृंगार होली

कान्हा की मुस्कान होली , मथुरा की शान होली
वृन्दावन मैं झूम उठे सब, राधा संग खेलें श्याम होली

कृष्ण की मुस्कान होली, मथुरा की खुशबू में होली
गोकुल का प्यार होली, वृन्दावन की सौगात होली





Thursday, 20 April 2017

चंद क्षणिकाएं

१.


अपने घर के चराग को , रखना संभालकर

जले तो रोशनी , बुझे तो अँधेरा


२.


दोस्ती वो दीया , जो रोशन तब तक

विश्वास की लौ , जिसमे जले  जब तक


3.


बचपन की पाकीजगी को खुदा , ताउस्र
बरकरार रख

तेरे दर पर ताउमर ,सजदा करेंगे हम


4.


समंदर की लहरों से जूझकर , किनारा मिले
तो अच्छा हो

मेरी कोशिशों को मेरे खुदा , तेरे करम का
साया नसीब हो तो अच्छा हो







Tuesday, 18 April 2017

संतों का सम्मान करें हम

संतों का सम्मान करें हम

सतों का सम्मान करें हम, पीरों का सम्मान करें हम
प्रेस सुधा बरसायें उन पर; देवों  सा व्यवहार करें हम 

पावन  कर्म सभी हों अपने उनका हर पल सत्कार करैं हम
कर्मठ  हों हम उनको ध्यावें ,  जीवन हित वरदान करें हम

आतिथ्य  उन्हें हो स्वीकार हमारा; चरण कमल पर बलि जाएँ हम
हे दयालु हे दया के सागर, चरण कमल रज पा जाएँ हम 

निष्कपट भाव  से तुमको पूजें, तुम्हारी कृपा का सार बनें हम
उत्तम सभी प्रयास हों सबके आदर्शों की   राह बनें हम

इस जीवन को पावन कर दो मुक्ति का आधार बनें हम
सत्य मार्ग दिखलाओ प्रभु जी,  मानवता का आधार बनें हम

जीवन में न हो कोई लालसा , मोक्ष  मार्ग का सार बनें हम 
काल प्रमु हमें न डराए ; इस जीवन का सार बनें 

करो अमृत  वचन धरोहर सबकी, जन हित अक्षर ज्ञान  बनें हम
अम्बर  सा विशाल हृवय हो सबका धर्म का विस्तार बनें हम

संतों - पीरों की सेवा  हित; जीवन की हर सांस बनें हस
इस जीवन को करें धरोहर जीवन मुक्ति  का सार बनें हम

सतों का सम्मान करें हम, पीरों का सम्मान करें हम
प्रेस सुधा बरसायें उन पर; देवों  सा व्यवहार करें हम 

पावन  कर्म सभी हों अपने उनका हर पल सत्कार करैं हम
कर्मठ  हों हम उनको ध्यावें ,  जीवन हित वरदान करें हम



हम ऐसे दीवाने हैं क्यों

हम ऐसे दीवाने हैं क्यों

हम ऐसे दीवाने हैं क्यों , हम ऐसे मस्ताने हैं क्यों
दिल की पीर छुपाते फिरते, हम ऐसे परवाने हैं क्यों

पीर पराई हमें न सूझे, हम इतने बेगाने हैं क्यों
हम इस जग मैं अज्ञानी, खुद पर हम इतराते हैं क्यों

'पर उपकार से सदा भागते , हम में ये दुर्गुण है क्‍यों
आकर्षण में उलझे - उलझे , विलासिता के दीवाने हैं क्यों

 निश्छल जीवन हमें न भाता, निर्जीव से जी रहे क्यों
'लालसा जीवन का गहना, हममे संयम नहीं है क्यों

खुद से हमको प्रेम नहीं है , खुद को हम भटकाते हैं क्यों
वर्जित कार्य सदा हम करते , जीवन मैं विश्राम नहीं क्यों

अमृत की अभिलाषा नहीं, विष के दलदल में उलझे क्यों
उत्सर्ग मार्ग से नहीं है नाता , धर्म मार्ग पर बढ़ते नहीं क्यों

निर्दोष कर्म हम नहीं जानते, हम इतने उलझे - उलझे क्यों
मंगल काज नहीं हैं भाते, हममे पावनता नहीं क्यों

चाँद हमारी चाहत है , तारों से दिल लगाते नहीं क्यों
जीवन मैं विश्राम नहीं है , सदा भागते रहते हैं क्यों

हम ऐसे दीवाने हैं क्यों , हम ऐसे मस्ताने हैं क्यों
दिल की पीर छुपाते फिरते, हम ऐसे परवाने हैं क्यों

पीर पराई हमें न सूझे, हम इतने बेगाने हैं क्यों
हम इस जग मैं अज्ञानी, खुद पर हम इतराते हैं क्यों




रंगों की बहार होली ,खुशियों की बहार होली

रंगों की बहार होली , खुशियों की बहार होली

रगों की बहार हौली, खुशियों की बहार होली
अल्हड़ों का खुमार होली, बचपन का श्रृंगार होली

होली के रंगों में भीगें, आपस का प्यार होली
रिश्तों की जान होली, दिलों का अरमान होली

प्रेयसी का श्रृंगार होली. प्रियतम का प्यार होली
अंग - अंग खुशबू से महके. प्रेम का इज़हार होली

सैयां की बैयाँ का हार होली, अरमानों का आगाज़ होली
आशिकों का प्यार होली. मुहब्बत का इजहार होली

गुलाल से रोशन हो आशियाँ, दिलों मैं पलता प्यार होली
कहीं इंतज़ार होली, कहीं खिलती बहार होली

कहीं इश्क़ का इज़हार होली, कहीं नफरत पर वार होली
खुदा की इबादत होली, खुदा पर एतबार होली

पालते जो दिलों में जो मुहब्बत, उन पर निसार होली
उम्मीदों का ताज होली, रिश्तों का रिवाज़ होली

कुदरत का करिश्मा होली, प्रकृति का प्यार होली
प्यार की जागीर होली, ख्वाहिशों का संसार होली

रगों की बहार हौली, खुशियों की बहार होली
अल्हड़ों का खुमार होली, बचपन का श्रृंगार होली

होली के रंगों में भीगें, आपस का प्यार होली
रिश्तों की जान होली, दिलों का अरमान होली




यूं हे किसी को अपना बनाता नहीं कोई







यंत्रणा , वेदना ,पीड़ा , सारे गम भूलकर





मुझे भी एक चाँद दे दो






मान रे मन मेरी बतियाँ




मान मिले तुझे सम्मान मिले




बहुत जी खुश हुआ उनसे मिलकर




प्रकृति के आँचल में





प्यार के एहसास से एवं अन्य नए एहसास - मुक्तक

१.


प्यार के एहसास से ये गुलिस्तां रोशन हो जाए तो अच्छा
हो

जिन्दगी का हर एक दिन “वैलेंटाइन “ हो जाए तो अच्छा
हो


२.



प्यार के माम से क्यों बिफ़र जाती हैं ये दुनिया
प्यार ही हर एक की जिन्दगी  का अंजाम हो जाए तो अच्छा
हो 



3.


रिश्तों  में प्यार की पाकीज़गी का ज़ज्बा  जगाकर देखो

हर  एक रिश्ते में खुदा का अश्क नज़र आयेगा तुझकों


4.



ग़मों के समंदर में डूबा - डूबा सा, हर एक शख्श नज़र आता है 

प्यार के एहसास से ये दुनिया, ये जमीं रोशन हो जाए तो अच्छा हो


आरज़ू थी मेरी एवं चंद नए एहसास

आरज़ू थी मेरी ,एक चाँद मुझको शी हो मसीब
मालूम ना था मुझको, चौंद़ के शहर में रेशन होगा.
आशियाँ मेरा


किताबों से दोस्ती, क्या गुल स्विलाएँगी जिन्दगी मैं मेरी,

मुझको मालूम न था 

इस बेजान शहर में ; पुस्तकें मेरी हमसफ़र बनकर कर
रहीं मुझको रोशन


किसी के इंतज़ार में , अपनी जिन्दगी को यूं नासूर न कर
कसी गमदीदा से पिता वन्य, उसके आशियाँ को सेशन
कर 


पाकीज़मी जिन्दगी का नूर हो. लिखर जाए तो अच्छा की
पाकीज़गी आखों में , दिल में उस खुदा की तस्वीर बावस्ता 
हो जाए तो अच्छा हो 
जहां से भी गुजरूँ , तेरे एहसास से रोशन ये गुलिस्तां हो 
जाए तो अच्छा हो   



जीवन ज्योति जगाऊँ कैसे - भजन




ज़मीं पर लिखा है जो, जन्नत का मंज़र




चाँद तारों को आसमां से ज़मीं पर लायेंगे




चंद नए एहसास - इक़बाल होगा बुलंद तेरा

१.

इकबाल होगा बुलंद तेरा भी, जो हो तुझे अपनी कोशिशों पर यकीन

खुद पर एतबार न करने वालों का , नामों निशाँ मिट जाता है.


2.


किनारों पर बैठ लहरों का मजा कभी मिलता है क्या  

चलो लहरों को अपनी जिन्दगी का , हमसफ़र करें 

3.


एहसास उसके करम  का , मुझको जो हो जाए 

मेरी जिन्दगी  की , एक नई सुबह हो जाए


4.

उसके कायदे और करम पर है मुझको यकीं 

इसी एहसास को अपना हमसफ़र बना , जी रहा हूँ मैं 


5.


कुर्बान उस खुदा की राह पर , खुद को कर दूं 

मेरे इस अरमान को उस खुदा का करम हो नसीब 



वह जिन्दगी भी क्या जिन्दगी और नए एहसास - मुक्तक

१.


आहिस्ता - आहिस्ता जो मंजिल  की ओर  , कदम रखते नहीं

उनके नसीब में  , मंजिल के दीदार होते नहीं .

 
२.


आसमानी खुदा से जो मांगते हैं, जिन्दगी में चैन और सुकून 


रोशन होता है उनकी जिन्दगी का हर पल, रहते हैं वो ग़मों से कोसों दूर 


3.

आ वार पंछी की तरह जीते हैं जो, अपनी जिन्दगी का हर पल 

उनकी जिन्दगी का आशियाँ , कभी रोशन होता ही नहीं 

4.



आसमां से दूर कहीं आशियाँ बनाने की, जुर्रत की है मैंने 

मेरे इस ख़्वाब को उस हुदा का करम, नसीब हो जाए तो अच्छा हो 


5.

आसां है किसी के उजड़ते चमन को देखकर हंस देना 

किसी के उजड़े चमन को रोशन करो , तो कोई बात बने 


गुणज्ञ हो गुणवान हो




चंद नए एहसास - ख़ामोशी का अपना एक खुशनुमा समंदर होता है

१.

खामोशी का अपना एक खुशनुमा
समंदर होता है

अलफ़ाज़ भी कभी - कभी दर्द दे
जाते हैं


२.


बीते हुए वक़्त की वीरानियों को जो
भूल जायें तो भी

वक़्त के समंदर में घाव फिर से हरे हो
जाते हैं


3


अपने नसीब को हम यूं ही कोसते
रहते

काश ! समंदर की लहरों सी जिन्दगी
हो जाए


4.


क्यूं कर किसी को अच्छा कहे, बुरा
कहे कोई

वक़्त दुश्मन को भी दोस्त बना देता
है


5.


खामोश जुबां से बेहतर कोई दोस्त नहीं 


खुली जुबान से बड़ा कोई दुश्मन नहीं