Friday, 3 June 2016

तेरे क़दमों में अपनी जन्नत

तेरे  कदमों में अपनी जन्नत

तेरे क़दमों में अपनी जन्नत बना लूं तो अच्छा हो
तेरे कदमों मैं अपना सर झुका दूं तो अच्छा हो

तेरी  चाहत में मैं खुद को मिटा दूँ तो अच्छा हो.
तेरी उम्मीद के काबिल, मैं खुद को बना लूं तो अच्छा हो

मेरे मालिक मेरी सरकार , मेरे मौला , मैरे खुदा
तेरी निगाह में खुद को पाकीजा कर लूं तो अच्छा हो

मेरी कोशिशों में खुदा का नूर बयाँ  हो तो अच्छा हो
मेरी नादानियों पर खुदा का रहम हो तो अच्छा हो

तेरे करम से नामुमकिन को मुमकिन बना दूं तो अच्छा हो
मेरी कोशिशों पर खुदा का करम अता हो तो अच्छा हो

इस नाचीज को तुझसे मुहब्बत हो जाए तो अच्छा हो.
तैरे पैगाम को अपना मजहब बना लूं तो अच्छा हो

मेरे अरमां तेरे दर की अमानत हो जाये तो अच्छा हो
मैं खुद को तुझ पर कुर्बान  कर दूं तो अच्छा हो.

मेरे मालिक तू मुझको अपनी पनाह में रख ले तो अच्छा हो
मेरे सरकार तू मेरे दिल के करीब हो जाए तो अच्छा हो

मेरा आशियाँ तेरे करम से पाकीजा हो जाये तो अच्छा हो.
मेरे सपनों को तेरे करम की तासीर अता हो जाये तो अच्छा हो




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