Friday, 3 June 2016

जब तुझे कपूत और सपूत का भेद समझ आने लगे - मुक्तक

१.

जब तुझे कपूत और सपूत का भेद समझ आने लगे
जब तुझे पाप और पुण्य का फ़र्क समझ आने लगे

जब तुझे कुविचारों से विरक्ति महसूस होने लगे
तुम समझ लेना तेरे मन में  ईश्वर का निवास हो गया है



२.

जब तुझे प्रभु भक्ति में रस मिलने लगे
जब तेरा मन उपासना को अपना धर्म समझने लगे

जब तुझे प्रभु चरणों में स्वर्ग नज़र आने लगे
तुम समझना तुम्हारा जीवन अभिनन्दन मार्ग की ओर अग्रसर है

3.


जब देवालय तेरे मन की पीर मिटाने लगें
जब सत्संग तुझे रसमय लगने लगें

जब तुझे परमात्मा पर विश्वास होने लेगे
तुम समझना तुम्हारा मानव जीवन सफल होने लगा है


4.



जब तुझे उत्तम और अधम का भेद समझ आने लगे
जब तुझे इहलोक और परलोक का अंतर समझ आने लगे

जब तुझे कुकर्म और सुकर्म का भेद समझ आने लगे
तुम समझना तुम पर ईश्वर की अनुपम कृपा है



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