Friday, 3 June 2016

सब कुछ कभी ख़त्म नहीं होता

सब कुछ कभी ख़त्म नहीं होता

सब कुछ कभी  ख़त्म नहीं होता , अपने प्रयासों को अपनी धरोहर कर लो
तुम कभी हार नहीं मानना , अपने जीवन को अपना कर्मक्षेत्र कर लो

हार से ही जीत के दरवाज़े खुलते, अपने जीवन को अमूल्य धरोहर कर लौ
क्या हुआ जो ,कुछ प्रयास सफल न हुए तेरे, अपने आत्मविश्वास को अपनी
सफलता की पूँजी कर लो.

 रचनात्मकता को करो अपने प्रयासों का हमसफ़र, अपने इरादों को अपनी मंजिल
का आशियाँ कर लो
मुसीबतों के दौर में भी संभलना तुझको, अपनी कोशिशों को अपने जीने का मकसद
कर लो

जोखिम न लेना सबसे बड़ा जोखिम  , अपने जीवन को कर्मभूमि का रणक्षेत्र कर लो
प्रयासों की राह में असफलता से डर कैसा, असफलता को सफलता का मकसद कर
लो 

मेहनत को करो अपने प्रयासों की पूँजी, अभिनन्‍्दन को अपने जीने का मर्म कर लो
 आध्यात्मिक विचारों से पुष्पित करो खुद को , सुसंकल्प को अपने जीवन  की धरोहर
कर लो 

उत्कर्ष की राह हो तेरे जीने का मकसद, सुविचारों को अपनी राह की पूँजी कर लो
सब कुछ कैसे, यूं ही ख़त्म हो जाए, अपने जीवन को उस परमात्मा की धरोहर कर
लो





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