Thursday, 30 June 2016

मेरे चिंतन मन में - भजन

मेरे चिंतन मन में --भजन

मेरे चिंतन मन में बस जाओ प्रभु
मन मैं अक्ति की ज्यौत जलाओ प्रभु

गीत प्रभु तेरी महिमा के गाऊँ
विनती मेरी स्वीकार करी प्रभु

इच्छा , लालसा मन न उपजे
तेरे चरणों में जगह मिले प्रभु

अक्ति भाव से ध्याऊँ तुझको
मन दर्पण में बस जाओ प्रभु

सच्चाई की राह में ले लो
मिथ्या जगत से हमें बचाओ

मनभावन तुम लगते मुझको
मन मंदिर मैं बस जाओ प्रभु

निर्बल को प्रभु सबल बनाओ
मन में विश्वास जगाओ प्रभु

जीवन में कोई अभिलाषा न हो.
मोक्ष राह पर ले जाओ प्रभु

मेरे चिंतन मन में बस जाओ प्रभु
मन मैं अक्ति की ज्यौत जलाओ प्रभु

गीत प्रभु तेरी महिमा के गाऊँ
विनती मेरी स्वीकार करी प्रभु




Tuesday, 21 June 2016

सोचकर देखो ज़रा

सोचकर देखो

सोचकर देखो ज़रा ! कया लाये थे क्या ले जाओगे
किसी के गम जो चुरा लोगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे क्या ले जाओगे
'किसी के आंसू जो पोछ लोगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! कया लाये थे क्या ले जाओगे
'किसी के चेहरे पर मुस्कान जो लाओगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! कया लाये थे क्या ले जाओगे
'किसी को अपना बनाओगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे क्या ले जाओगे
किसी की राह के कांटे जो तुम उठाओगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! कया लाये थे क्या ले जाओगे.
उस खुदा की राह चलोगे ,तो जन्नत पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! कया लाये थे क्या ले जाओगे
इबादत को जो मजहब बनाओगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे कया ले जाओगे
चलोगे जो सच की राह ,तो अभिनंदन पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे क्या ले जाओगे
चलोगे जो कर्तव्य की राह ,तो कीर्ति पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! कया लाये थे क्या ले जाओगे
खिला के फूल जो जाओगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे क्या ले जाओगे
बिखेरोगे जो मुस्कान ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे कया ले जाओगे
खुदा से इश्क जो निभाओगे ,तो जन्नत पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे कया ले जाओगे
इंसानियत को जो अपना धर्म बनाओगे ,तो कुछ पाओगे

सोचकर देखो ज़रा ! क्या लाये थे कया ले जाओगे
किसी से वादा करके जो निभाओगे ,कुछ पाओगे



सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना
भक्ति की ज्योत जलाओ मौरे अंगना

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना
चरण कमल का देकर सहारा.

जीवन ज्योत जलाओ मोरे अंगना
सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

पुलकित हो मेरे मन की बगिया
विश्वास की ज्योत जलाओ मन बसिया

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना
सिद्धि विनायक विषघ्नहर्ता
हे सुख कर्ता मंगल कर्ता

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना
चरण कमल तेरे बलि--बलि जाऊं
कष्टों से सदा हमको बचाना
सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

मन मंदिर को पावन कर दो
अक्ति के पुष्प खिलाओ मोरे अंगना

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

है लम्बोदर दया करो प्रभु
अपने चरणों का दास करो प्रभु

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

तुमको भोग लगाऊं मेरे प्रभु जी
आकर भोग लगाओ मोरे अगना

सिद्धि विनायक आओ मोरे अंगना

Sunday, 19 June 2016

मेरी किस्मत में चाँद सितारे हैं कि नहीं

मेरी किस्मत में चाँद सितारे हैं कि नहीं

मेरी किस्मत में चाँद सितारे हैं कि नहीं ,इसका मुझे
इल्म नहीं
एक अदद इबादत को कर लिया अपना ,इमां मैंने

मुझे भी जन्नत नसीब होगी कि नहीं ,इसका मुझे इल्म
नहीं

एक अदद राहे-इंसानियत को कर लिया ,जीने का सबब
मैंने

मैं उसकी आँखों का नूर हो सकूंगा कि नहीं इसका मुझे
इल्म नहीं

खुदा की राह को अपने जीने की राह ,कर लिया मैंने

मुझ पर उस खुदा का करम होगा कि नहीं ,इसका मुझे
इल्म नहीं

खुद को उस खुदा के दर का चराग ,कर लिया मैंने

उस खुदा के दर में मुझे जगह मिलेगी कि नहीं इसका
मुझे इल्म नहीं

खुदा के बन्दों की खिदमत को अपना इमां ,कर लिया मैंने

पाक दामन से खुदा ने मुझको नवाज़ा कि नहीं ,इसका
मुझे इल्म नहीं

उस खुदा के बन्दों के ग़मों को ,अपना कर लिया मैंने

में खुशनसीब हूँ कि नहीं ,इसका मुझे इल्म नहीं
खुदा के बन्दों को खुदा की नेमत ,कर लिया मैंने

मेरी किस्मत में चाँद सितारे हैं कि नहीं ,इसका मुझे
इल्म नहीं

एक अदद इबादत को कर लिया अपना ,इमां मैंने

चाँद से कह दो

चाँद से कह दो

चाँद से कह दो , चांदनी का समंदर हो जाए
फूलों से कह दो, खुशबुओं का समंदर हो जाएँ

सरिता से कहो, पावन हो बह निकले
भवरों से कह दो , मधुर स्वर में गुनगुनाएं

मानव से कहो, मानवता का सुर छेड़ें
रिश्तों से कहो , सामाजिकता का गुण गायें

देवालयों से कह दो, पुण्य चरित्रों का विस्तार हो
जाएँ

संत जनों से कहो, धर्म, संस्कृति, और संस्कारों
का विस्तार हो जाएँ

लहरों से कह दो, किनारों को मंजिल कर लें
मंदिरों, मस्जिदों , गुरद्वारों, चर्चों को कह दो ,
धर्म का विस्तार हो जाएँ

बचपन से कह दो, आदर्शों की अंगुली पकड़ बढ़
चलें

युवाओं से कह दो, संस्कृति, संस्कारों को जीवन
का गहना कर लें

बुजुर्गों से कह दो, अपने आशीष और अनुभवों से
युवा पीढ़ी को पुष्पित करें

समाज से कह दो, रिश्तों को धर्म और इबादत
कर लें

खुदा से कह दो , हमें अपने दर का गुल कर लें
प्रकृति से कह दो, हमें अपनी गोद का आलिंगन
नसीब करे

किस तट पर छूट गयीं

किस तट पर छूट गयीं

किस तट पर छूट गयीं हमारे आनंद की छापें
किस तट पर इंतज़ार करतीं , जीवन का हमारी साँसें

कुछ टूटे--टूटै से हमारे रिश्ते, कुछ बिखरी--बिखरी सी हमारी
यादें
क्या वो आनंद के क्षणों के सूत्र फिर पिरो सकेंगे हम

किन लहरों का ग्रास हो गयी वो बचपन की खुशनुमा यादें
किस करवट बदल गया आज का सामाजिक पर्यावरण

किस चट्टान के तले दब गर्यी वो संस्कृति, संस्कार की बातें
क्यों कर बिखरीं रिश्तों, मय्यादाओं की सीमाएं

क्यों कर अब नहीं करता कोई नैतिक मूल्यों की बातें
क्यों कर हुए हम अनैतिक विचारों से पोषित विचार क्रांति के
शिकार

किस दिशा प्रस्थान कर गयीं माँ की वो प्यारी--प्यारी लोरियां
अब नहीं दिखर्तीं घरों में सूखे बेरों से भरी बोरियां

किस भोर का गवाह होंगी रिश्तों की आत्मीयता
किस कल--कल करती नदी का स्वर होंगे रिश्तों की संवेदनशीलता

ऐसा क्‍या हुआ रिश्तों पर भारी पड़ रही अवसरवादिता
ऐसा क्‍या हुआ बुजुर्गों और युवा पीढ़ी के बीच बढ़ रही वैचारिक दूरियां

क्यों कर हुए शिक्षा के मंदिर अब शिक्षा के व्यावसायिक केंद्र
क्यों कर जीवित नहीं रख पाए हम गुरु शिष्य परम्परा

किस तट छूट गयीं वो साम्प्रदायिक एकता की भावनाएं
क्यों कर धर्म को दिया जा रहा राष्ट्र से ऊपर आसन

किस तट पर छूट गयीं हमारे आनंद की छापें
किस तट पर इंतज़ार करतीं , जीवन का हमारी साँसें

Saturday, 4 June 2016

जब तुझे अर्थ और अनर्थ का भेद समझ आने लगे - मुक्तक

१.

जब तुझे अर्थ और अनथ का भेद समझ आने लगे
जब तुझे अमृत और विष वाणी का भान होने लगे

जब तुझे उन्नति और अवनति का अर्थ समझ आने लगे
यह समझ लेना तुझे जीवन का सत्य समझ आने लगा है


२.


जब तुझे अच्छे ओर बुरे का भान होने लगे
जब तुझे आकार और निराकार का ज्ञान होने लगे 

जब तुम आशा और निराशा का भेद करने लगो
यह समझ लेना तुम जीवन की सही दिशा की और अग्रसर हो



3.


. जब तुझे आस्तिक और नास्तिक का ज्ञान पर
जब तुझे आदर और लिरादर का भेद समझ आने लगे 

जब उत्कर्ष और पराभव का  अर्थ तुझे समझ आने लगे 
 समझ लेना तुम अभिनंदन मार्ग की ओर अग्रसर हो


4.

 
 जब  उत्थान और पतन के बीच का भेद तुझे समझ आने लगे 
जब कर्तव्य और अकर्तव्य की परिभाषा तुझे समझ आने लगे दी

जब उपकार और अपकार का अंतर तुझे समझ आने लगे 
तुम समझना कि तुम पूर्ण मानव होने की ओर अग्रसर हो 

 

5.

जब सद्गति और दुर्गाति का भेद तुझे समझ आने. समझ आनें
जब तेरे विचार चेतन और अवचेतन का भेद समझने लगे 

जब तुझे जन्म और मरण के बीच का अंतर समझ आने लगे
  तुम समझ लेना तुम चिंतन मार्ग की ओर अग्रसर हो




Friday, 3 June 2016

जब तुझे कपूत और सपूत का भेद समझ आने लगे - मुक्तक

१.

जब तुझे कपूत और सपूत का भेद समझ आने लगे
जब तुझे पाप और पुण्य का फ़र्क समझ आने लगे

जब तुझे कुविचारों से विरक्ति महसूस होने लगे
तुम समझ लेना तेरे मन में  ईश्वर का निवास हो गया है



२.

जब तुझे प्रभु भक्ति में रस मिलने लगे
जब तेरा मन उपासना को अपना धर्म समझने लगे

जब तुझे प्रभु चरणों में स्वर्ग नज़र आने लगे
तुम समझना तुम्हारा जीवन अभिनन्दन मार्ग की ओर अग्रसर है

3.


जब देवालय तेरे मन की पीर मिटाने लगें
जब सत्संग तुझे रसमय लगने लगें

जब तुझे परमात्मा पर विश्वास होने लेगे
तुम समझना तुम्हारा मानव जीवन सफल होने लगा है


4.



जब तुझे उत्तम और अधम का भेद समझ आने लगे
जब तुझे इहलोक और परलोक का अंतर समझ आने लगे

जब तुझे कुकर्म और सुकर्म का भेद समझ आने लगे
तुम समझना तुम पर ईश्वर की अनुपम कृपा है



सब कुछ कभी ख़त्म नहीं होता

सब कुछ कभी ख़त्म नहीं होता

सब कुछ कभी  ख़त्म नहीं होता , अपने प्रयासों को अपनी धरोहर कर लो
तुम कभी हार नहीं मानना , अपने जीवन को अपना कर्मक्षेत्र कर लो

हार से ही जीत के दरवाज़े खुलते, अपने जीवन को अमूल्य धरोहर कर लौ
क्या हुआ जो ,कुछ प्रयास सफल न हुए तेरे, अपने आत्मविश्वास को अपनी
सफलता की पूँजी कर लो.

 रचनात्मकता को करो अपने प्रयासों का हमसफ़र, अपने इरादों को अपनी मंजिल
का आशियाँ कर लो
मुसीबतों के दौर में भी संभलना तुझको, अपनी कोशिशों को अपने जीने का मकसद
कर लो

जोखिम न लेना सबसे बड़ा जोखिम  , अपने जीवन को कर्मभूमि का रणक्षेत्र कर लो
प्रयासों की राह में असफलता से डर कैसा, असफलता को सफलता का मकसद कर
लो 

मेहनत को करो अपने प्रयासों की पूँजी, अभिनन्‍्दन को अपने जीने का मर्म कर लो
 आध्यात्मिक विचारों से पुष्पित करो खुद को , सुसंकल्प को अपने जीवन  की धरोहर
कर लो 

उत्कर्ष की राह हो तेरे जीने का मकसद, सुविचारों को अपनी राह की पूँजी कर लो
सब कुछ कैसे, यूं ही ख़त्म हो जाए, अपने जीवन को उस परमात्मा की धरोहर कर
लो





मेरे सरकार तेरी चाहत में

मेरे सरकार तेरी  चाहत में 

मेरे सरकार तेरी चाहत में , खुद को मिटा दूं तो अच्छा हो.
मेरी साँसें तेरे नाम की खुशबू से ,रोशन हों तो अच्छा हो

मेरे सरकार मैं तेरा शागिर्द ,हो जाऊं तो अच्छा हो.
तेरे बन्दों की खिदमत में खुद को ,फ़ना कर दूं तो अच्छा हो.

मेरे दिल जिगर में तेरा आशियाँ ,बसर हो जाए तो अच्छा हो.
मेरे सरकार मुझे अपनी जागीर ,बना लो तो अच्छा हो

मेरे मालिक तेरी खुदाई मेरा इमां ,हो जाए तो अच्छा हो
मेरे अरमानों को तेरे करम की तासीर ,अता हो जाए तो अच्छा हो

मेरा आशियों मेरे मालिक, तेरे करम से ,रोशन हो जाए तो अच्छा हो.
तेरी आगोश में जिन्दगी मेरी ताउमर ,बसर हो जाए तो अच्छा हो

मेरी आरजू मैं तेरे दर का चराग ,हो जाऊं तो अच्छा हो.
मेरे खुदा मैं आलिम तेरे करम से ,हो जाऊं तो अच्छा हो.

मेरे सरकार तेरी इबादत , मेरा इमां हो जाए तो अच्छा हो.
मेरी जिन्दगी तेरे क़दमों की धूल का हिस्सा ,हो जाए तो अच्छा हो



अज़ीज़ हैं वो मुझको - मुक्तक

१.

'अजीज है वो मुझको, इस पर यकीन है उसको  

खुदा का करम कहें इसे , या कहें इश्क का जूनून



२.

ये ज़रूरी नहीं हम उनको याद करें

ये दिलों का है सौदा , हम एक -दूसरे पर हों निसार



मेरे अरमानों को मंजिल हो नसीब - मुक्तक

१.

मेरे अरमानों को मंजिल हो नसीब और ख्वाहिशों
को जन्नत

उस खुदा के इनायते -करम पर हो एतबार मुझे

२.

कक सा विशाल हृदय कर, मानवता
हित कर्म करो

अभिनंदन तेरा भी होगा, कुछ प्रयास
ऐसे करो


3.


अनुपम  छवि तेरी भी होगी , कुछ
आदर्श तुम वरो

खिलोगे पुष्प बन गुलशन में , कुछ
सत्कर्म तुम करो


4.

गर्व  तझ पर भी करेगी दुनिया, 
राष्ट्रहित प्रयास तुम करो 

कीर्ति तेरी भी होगी रोशन, समाज हित
कुछ कर्म तुम करो



5.

पर तृष्णा में तुम न उलझो ,
अभिमानी न॑ होना तम

इच्छा और लालसा में न उलझो , खुद
को संयमित करो तुम


६.

स्‍ को स्नेह की दृष्टि  से  देखो, हर एक दिल में
खुदा मिलेगा तुझको

बचाकर रखना अहं से खद को,
अभिनंदन  की राह नसीब होगी तुझको



मनमोहन मेरी विनती सुन लो - भजन

मनमोहन मेरी विनती सुन लो--भजन

मनमोहन मेरी विनती सुन लो ,मुझको अपना दास बना लो
हे कान्हा मेरी अरज सुन लो ,अपने चरणों की धूलि दे दो

वंशीधर मेरी विनती सुन लो ,भक्ति की मुझे राह दिखा दो
हे  गिरिधर मेरी विनती सुन लो ,मुझको अपना अनुचर कर लो.


हे  केशव मेरी अरज सुन लो, मन मेरा उल्लास से भर दो

हे  माधव मेरी विनती सुन लो, अनुपम मेरी वाणी कर दो


हे  मुरारी मेरी विनती सुन लो , रत्नाकर सा विशाल हृदय दे दो

हे  राधे मेरी अरज सुन लो, मन मंदिर को पावन कर दो


हे  कृष्णा मेरी अरज सुन लो , सरिता सा मुझे पावन कर दो

हे  मोहन मेरी विनती सुन लो, अपने चरणों की मुझे सुधि दे दो




तेरे करम का मैं हूँ प्यासा

तेरे  करम का मैं हूँ प्यासा

तेरे करम का मैं हूँ प्यासा , मुझको राह दिखा दे मौला 

आदिल (सच्चा) हो जाऊं मैं तेरा , तेरा करम हो जाए
मौला

आलिम (विद्वान) कर दे मुझको मॉला , मेरा भाग्य
जगा दे मौला

इकबाल मेरा तुझसे हो रोशन, अपने करम से नवाज़
दे मौला

इम्तिहान न लेना मेरा, मुझको राह दिखा दे मौला

इल्म से मुझको नवाज़ दे मौला, अपना मुझको बना ले
मौला

एक इशारा जो हो तेरा , तुझ पर खुद को मिटा दूं मौला

आदिल करना मुझको माला, तुझ पर बलि--बलि
जाऊं मौला

आशिक़  हो जाऊं मैं तेरा , अपना मुझको बना
ले मौला

आसां हों सब राहें मेरी, अपने दर पर रखना
मौला

तुझ पर एतबार बुलंद हो मेरा, अपना शागिर्द
बना ले मौला

इल्म से करना मुझको रोशन, तुझ पर एतबार
बना रहे मौला

अल्लाह - अल्लाह कहता फिरूं मैं, अपनी
इबादत में ले मौला

उम्मीद कायम मेरी रख माला, एतबार मेरा
बना रहे मौला

काबिल हो जाऊं मैं मौला, भाग्य मेरा रोशन कर मौला

खिदमत में सदा रहूँ मैं तेरी, अपने करम से नवाज़ दे
मौला

ख्वाहिशों को मेरे पंख दे मौला , नाम मेरा रोशन कर
मौला

मेरे गुलशन में फूल खिला दो, मेरे आशियाँ को जन्नत
कर मौला

जलवा मेरा दुनिया देखे , तेरे करम का चर्चा हो मौला

मुझको जवाहर कर दे मौला , अपने करम का जलवा
दिखा दे मौला




तेरे क़दमों में अपनी जन्नत

तेरे  कदमों में अपनी जन्नत

तेरे क़दमों में अपनी जन्नत बना लूं तो अच्छा हो
तेरे कदमों मैं अपना सर झुका दूं तो अच्छा हो

तेरी  चाहत में मैं खुद को मिटा दूँ तो अच्छा हो.
तेरी उम्मीद के काबिल, मैं खुद को बना लूं तो अच्छा हो

मेरे मालिक मेरी सरकार , मेरे मौला , मैरे खुदा
तेरी निगाह में खुद को पाकीजा कर लूं तो अच्छा हो

मेरी कोशिशों में खुदा का नूर बयाँ  हो तो अच्छा हो
मेरी नादानियों पर खुदा का रहम हो तो अच्छा हो

तेरे करम से नामुमकिन को मुमकिन बना दूं तो अच्छा हो
मेरी कोशिशों पर खुदा का करम अता हो तो अच्छा हो

इस नाचीज को तुझसे मुहब्बत हो जाए तो अच्छा हो.
तैरे पैगाम को अपना मजहब बना लूं तो अच्छा हो

मेरे अरमां तेरे दर की अमानत हो जाये तो अच्छा हो
मैं खुद को तुझ पर कुर्बान  कर दूं तो अच्छा हो.

मेरे मालिक तू मुझको अपनी पनाह में रख ले तो अच्छा हो
मेरे सरकार तू मेरे दिल के करीब हो जाए तो अच्छा हो

मेरा आशियाँ तेरे करम से पाकीजा हो जाये तो अच्छा हो.
मेरे सपनों को तेरे करम की तासीर अता हो जाये तो अच्छा हो




तुझको पलकों पर बिठा लूं मैं

तुझको पलकों  पर बिठा लूं मैं 

'तुझको पलकों  पर बिठा लूं मैं , कुछ ऐसा करम करना मौला 
'तुझको सपनों में सजा लूं मैं , कुछ ऐसा करम करना मौला 

'तुझ पर मैं कुर्बान हो जाऊं , कुछ ऐसा करम करना मौला 
मुझे तुझसे मुहब्बत हो जाए, कुछ ऐसा करम करना मौला 

'तुझको खुदा कर लूं मैं अपना , कुछ ऐसा करम करना मौला 
तेरे दर को अपना आशियाँ कर लूं अपना, कुछ ऐसा करम
करना मौला 

ख्वाहिश है तेरी खिदमत मैं करूं , कुछ ऐसा करम करना मौला 
ख्वाहिश है मैं तेरा जवाहर हो जाऊं , कुछ ऐसा करम करना
मौला 

तेरे क़दमों को मैं जन्नत कर लूं, कुछ ऐसा करम करना मौला 
'तेरा मुरीद मैं हो जाऊं , कुछ ऐसा करम करना मौला 




जीवन बंधन से मुझे मुक्त कर दो


जीवन बंधन से मुझे मुक्त कर दो

जीवन बंधन से मुझे मुक्त कर दो.
मुझको चिर निद्रा का सुख दो

पीर  मेरी सब मुझसे छूटे
मुझे उजाले का अम्बर दो

व्याप्त हो सकू मैं इस नभ  में
मुझे पंचतत्व में विलीन कर दो

जग की माया झूठी माया
मुझको बंधनों से दूर कर दो.

रखना हो गर मुझको इस तन मैं
भक्ति का मुझे सागर कर दो

मुझे भोग में रूचि न देना
सत, चित , सुन्दर पावन कर दो

गीता का मुझे जान नहीं है.
 निष्काम कर्मयोग का रस दो

स्वयं की मुझको चिंता न हो
पर उपकार जीवन धन कर दो 

है जग के स्वामी जगदीश्वर
अपने चरणों की मुझको रज दो

है वासुदेव मैं शरण तुम्हारी
मुझको मोक्ष मार्ग का वर दो

जीवन बंधन से मुझे मुक्त कर दो.
मुझको चिर निद्रा का सुख दो

पीर  मेरी सब मुझसे छूटे
मुझे उजाले का अम्बर दो






किसी के कुछ कहने से फर्क नहीं पड़ता है मुझे


किसी के कुछ कहने से फर्क नहीं पड़ता है मुझे

किसी के कुछ कहने से फर्क नहीं पड़ता है मुझे
मेरे सपनों की दुनिया ही अजब निराली है

मैं टूटता नहीं मैं बिखरता नहीं , कटु  वचनों से
मेरी संस्कृति , संस्कारों की छटा अजब निराली है

मेरे विचार , मेरे सिद्धांत कभी डगमगाते नहीं , पर निंदा से
मेरे आदर्शो की दुनिया ही अजब निराली है

मैं क्यों कर बिखर जाऊं , एक ठोकर से
मेरे प्रयासों की दुनिया ही अजब निराली है.

गिरकर संभल जाने की कला आती है मुझे
मेरी कोशिशों की दुनिया ही अजब निराली है.

किसी की बदनीयत सोच क्या बदलेगी तकदीर मेरी.
मेरी इबादत की दुनिया ही अजब निराली है
.
किसी दूसरे के विचारों से प्रभावित नहीं होता हूँ मैं
मेरे सुविचारों की छटा ही अजब निराली है.

मेरे दुश्मनों तुमने किया मेरे प्रयासों को सार्थक
मेरी शुक्रिया कहने की कला भी अजब निराली है.



कान्हा पुकारे राधा दौड़ी चली आये - भजन


कान्हा पुकारे राधा दौड़ी  चली आये - भजन 

कान्हा पुकारे, राधा दौड़ी  चली आये
वंशी बजाये कान्हा , राधा दौडी चली आये.

कान्हा पुकारे , गउएं दौड़ी चली आयें
वंशी बजाये कान्हा , गउएं दौडी चली आये

कान्हा पुकारे , वाले दौड़े चले आये
वंशी बजाये कान्हा , ग्वाले दौड़े चले आये.

मथुरा मैं पुकारें कान्हा , वृंदावन मैं पुकारें 
जब भी पुकारें कान्हा , हम दौड़े चले आये

दही भी लाये कान्हा , माखन भी लाये
जल्‍दी - जल्दी आओ कान्हा , भोग लगायें

दीपक जलाये कान्हा , धूप दिखायें
पुष्पों की वर्षा करें , शीश नवायें

'छप्पन तरह के तुझको , भोग  लगाएं
मन मैं बसाएं तुझको , भजन तेरे गायें

कष्टों को हरना कान्हा , जब भी  पुकारें
चरणों मैं रखना प्रभु , आये तेरे दवारे


और उड़ना, मेरा किरदार हो गया

और उड़ना,  मेरा किरदार हो गया

और उड़ना ,मेरा किरदार हो गया.
गिर-गिरकर संभलना ,मेरा विस्तार हो गया

मैं जानता हूँ, मेरे प्रयास मेरी अमानत हैं
मेरी कोशिशें, मेरे प्रयास ,मेरा संसार हो गया.

और उड़ना ,मेरा किरदार हो गया.
मेरे पंखों को मिली ,आसमां की उड़ान

मेरे अरमानों को ,नसीब हुई जन्नत
खुला आसमां ,मेरे जीने का आधार हो गया

मेरा चिंतन करना ,मेरा किरदार हो गया
सफल होना ,मेरा संसार हो गया.

फूल प्रयासों के बिखेरे ,मैंने उपवन में
मेरे प्रयासों का उपवन ,गुलज़ार हो गया

मेरा बिखरना ,मेरा विस्तार हो गया
मेरी कोशिशों का सफ़र, मेरी सफलता का आधार हो गया.



एक तेरी नज़रे करम का साया

 तेरी नज़रे--करम का साया

'एक तेरी नज़रे--करम का साया ,मुझ पर हो जाए तो अच्छा
मेरे सपनों को तेरे करम का ,आसमां मिल जाए तो अच्छा

मेरी इबादत तेरे हुज़ूर में ,कुबूल हो जाए तो अच्छा
तेरी खुदाई ,मेरा ईमान हो जाए तो अच्छा

मेरे अरमान ,तेरी धरोहर हो जाएँ तो अच्छा
तेरे करम से आफताब सी ,मेरी शख्सियत रोशन हो जाए तो अच्छा

तेरे दर का मैं ,चराग हो जाऊं तो अच्छा
सितारों सी बुलंद ,मेरी शख्सियत हो जाए तो अच्छा

कुर्बान मैं खुद को ,तुझ पर कर लूं तो अच्छा
तेरी इबादत में मेरी सुबह -शाम ,गुजर हो जाए तो अच्छा

मेरे ख़वाबों को तेरे करम की छाँव, मिल जाए तो अच्छा
तेरे बन्दों की खिदमत में मेरी जिन्दगी ,गुज़र जाए तो अच्छा

ख्वाहिश है तेरे नाम का सहारा ,मुझे मिल जाए तो अच्छा
आशियाँ मेरा भी तेरे करम से ,रोशन हो जाए तो अच्छा

मेरे खुदा मुझे भी अपना गुलाम ,बना ले तो अच्छा
मैं जब तक भी जियूं, तेरी इबादत ,मेरा ईमान हो जाए तो अच्छा

'एक तेरी नज़रे--करम का साया ,मुझ पर हो जाए तो अच्छा
मेरे सपनों को तेरे करम का ,आसमां मिल जाए तो अच्छा

मेरी इबादत तेरे हुज़ूर में ,कुबूल हो जाए तो अच्छा
तेरी खुदाई ,मेरा ईमान हो जाए तो अच्छा