सजल नेत्रों से
सजल मेत्रों से , वह
अपने दोनों हाथों को जोड़े
अपने जीवन के
इन असंवेदी क्षणों में
स्वयं को
इन नराधमों से
बचाने का प्रयास करती
स्वयं पर होने वाले अत्याचार
से स्वयं को
रक्षित करने का
प्रयास करती
अमानवीय , अनैतिक
व्यवहार से पोषित
इन दुराचारियों को
समझाने का
असफल प्रयास करती
एक नारी की
व्यथा की कहानी
उसी की जुबानी
जो न चाहते हुए भी
उन पाशविक विचारों से ग्रसित
अमानवीय चरित्रों के
चीरहरण का ग्रास हो गयी.
भारत भूमि की छवि
नारी जो पूजनीया है
माँ, बहन, देवी के रूप में
आज कुंठित काम--पिपासा
का शिकार हो रही
पत्र--प्रतिपल हो रही
इन चीरहरण की घटनाओं ,
अमानवीय, अनैतिक, असामाजिक प्रयासों पर
कब लगेगा विराम
कब हम कह सकेंगे
नारी अब सुरक्षित है
नारी अब तुम निर्बल नहीं , सबल हो
तुम पूजनीया हो , तुमसे ही जगत है.
धरा है, जीवन है
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