१.
ख़ाक में मिल जानी है ,एक दिन हस्ती मेरी
फिर भी दो वक़्त खुदा को याद , हम क्यूं नहीं करते
दिल तो करता है मिटा दूं , इंसानियत की राह पर खुद को
ऐसा क्यों है इंसानियत कीं राह पर , हम चाहकर भी चला
क्यों नहीं करते
२.
सफ़र पर महब्बत की ,हम जाया नहीं करते
दो बेकरार दिलों को ,हम मिलाया नहीं करते
यूं तो कहते हैं हम, मुहब्बत को इबादते - खुदा
बिछुड़ जाते हैं जब दो दिल, हम पछताया क्यूं नहीं करते
3.
चाँद - तारों ,प्रकृति के उपहारों की बात आज करता हैं कौन
क , फेसबुर्क , whatsapp से रिश्ता जोड़ने लगे है
राजनेता, राजनीति और ट्विटर में ,कुछ इस तरह से हो
गए हैं मशगूल
गरीबों, किसानों, मजदूरों की ,परवाह आज करता है कौन
4.
आजमाईश के दौर से ,गुजर रहे हैं हम सभी
नेक बन्दे को खोजती , तलाशती उस खुदा की नज़र
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