Wednesday 3 February 2016

इम्तिहान और भी हैं , खुदा की राह में बन्दे - मुक्तक

१.

इम्तिहान और भी हैं ,खुदा की राह में बन्दे

एक अदद इबादत को ,मुस्तकबिल बना अपना



२.

इशारा करके जता देता है, वो अपने दिल की बातें

खुद पर कर भरोसा और, कर अपनी इबादत पर यकीन


3.

किनारे पर बैठकर सागर की गहराई का ,अंदाजा लगा.
रहे हैं वो

एक हम हैं हमने, खुद को लहरों के हवाले कर दिया


4.


कुदरत के क़ानून से ,जो धोखा करेगा

एक न एक दिन ,कुत्ते की मौत मरेगा



5.


पिंजरे में बंद रहकर , कुछ हासिल न होगा

दो पल  के लिए ही सही, आसमां में उड़ान भर के
तो देख


६.


ख्वाहिशों के ख़वाब , कहीं गुम न हो जाएँ

चलो किसी मज़ार पर , इबादत का चराग रोशन कर
आयें


No comments:

Post a Comment