Monday, 15 February 2016

सत्य की राह पर खुद को निसार कर देखो

सत्य की राह पर खुद को निसार कर देखो

सत्य की राह पर खुद को निसार कर देखो
मुसीबतों के इन पलों में, खुद को संवारकर देखो

मानव हो तुम , खुद को मानव समझकर देखो
शोक संतप्त मानवों को ,दो पल की ख़ुशी देकर देखो

जी रहे हैं जो ,सिसकती साँसों के साथ
दो पल के लिए ही सही, उन्हें हंसाकर देखो

मिथ्या है ये जीवन, इसे सार्थक बनाकर देखो
जी रहे हैं जो अभावों में, उन्हें अपना बनाकर देखो

यशस्वी हो जाओगे तुम भी, कोशिश कर देखो
ग़मगीन हैं जो उन्हें खुशियाँ बांटकर देखो

 सार्थक हो जाए जीवन , कुछ प्रयास कर देखो
जी रहे हैं जो अभागे चरित्रों की तरह , उनका भाग्य संवारकर देखो

सफल हों तेरे प्रयास सभी, कुछ ऐसा कर देखो
धरातल में जी रहे हैं जो, उन्हें थोड़ा आकाश देकर देखो

अन्धकार से खुद को बचाना है तो आध्यात्मिक होकर देखो
क्या होता है सच की राह पर चलने का सिला, औरों को बताकर देखो

पतन की राह से लोगों को बचाकर देखो
भटक रहे हैं जो, उन्हें सही राह बताकर देखो

मानव जीवन है अमूल्य, इसे बचाकर देखो
औरों के लिए जीना ही है जिन्दगी, ये भाव जगाकर देखो





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