Monday 15 February 2016

kb , mb , gb की भेंट चढ़ती जिन्दगी

  
kb , mb , gb की भेंट चढ़ती जिन्दगी

kb , mb , gb की भेंट चढ़ती जिन्दगी
mobile पर seconds गिनती जिन्दगी

selfie के चक्रव्यूह में उलझती जिन्दगी
mobile पर balance को लेकर चिंतित जिन्दगी  

फेसबुक , ट्विटर , whatsapp , hike पर
कुर्बान होती जिन्दगी

24 घंटों की जिन्दगी में से
सोने के 8 घंटों पर
कुठाराघात करती
ये multimedia की जिन्दगी

सोचने को मजबूर करती
क्या यही अंतिम सत्य रह गया है
इस जिन्दगी का

या

इस सत्य से परे भी
और कोई सत्य है

जो हमें इस यांत्रिक मायाजाल
के इस दलदल से
बाहर ला

हमारे जीवन को प्रफुल्लित कर सके
दे सके हमारे जीवन को
एक नयी राह

हमारे जीवन के उद्देश्य की
पूर्ति का वरदान दे सके
इस भौतिक संसार से
मोहभंग कर

हमें प्रस्थित कर सके
आध्यात्म की ओर

स्वयं के उद्धार की ओर
हमें विवश कर सके

यह सोचने को
कि
जीवन का उद्देश्य क्या है ?
लक्ष्य क्या है ?

इस यांत्रिकता ने जीवन को
एक अजीब मोड़ पर
ला खड़ा किया है

दैनिक जीवन के पल – पल के
कार्यकलापों पर
पड़ रहा
इसका कुप्रभाव है

घर हो, टॉयलेट हो , बाथरूम हो
बस हो , ट्रेन हो , प्लेन हो
मंदिर हो , स्टेशन हो या फिर ..........

हर जगह केवल एक ही विषय
गुनगुनाते हुए देखा जा सकता है

ट्रेन पर सेल्फी , जीवन में adventure पैदा करने का video
whatsapp, twtitter , internet , hike ,fb आदि – आदि के

पन्नों पर उलझती आँखें

एक अनजान मनोवैज्ञानिक बीमारी
की ओर
धकेलती

ये mobile , laptop , ये internet
की दुनिया

मानव जितना सजग , उस परमात्मा के प्रति नहीं
जितना कि इन यांत्रिक गतिविधियों के लिए

एक ओर तो उस परमात्मा के लिए
मानव के पास समय का अभाव
वहीं दूसरी ओर
यदि वह दो पल के लिए

उस परमात्मा की शरण होना भी चाहे
तो
मन में

 whatsapp, twtitter , fb, hike पर
message को लेकर
मन में एक विशेष
प्रकार की चिंता

इस भूलभुलैया का कोई अंत है
भी या नहीं

या यूं ही
डूबते – उतराते हुए बीत जायेगी जिन्दगी

या फिर
इस चक्रव्यूह से मुक्त हो
उन्मुक्त गगन में विचरण कर सकेगी

ये जिन्दगी

क्या होगा इस
वर्तमान संकटपूर्ण
जीवन का

कोई तो ऐसा छोर मिले
जो मुक्त कर दे

और ले चले
उस गगन की ओर

जहां
केवल और केवल

विद्यमान हो असीम शांति
और आध्यात्मिक सुख






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